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________________ रायपसेण इय सुत्तनो सार ॥१३॥ राजा सेय महान् हिमालय, महान् मलयगिरि, मन्दराचल अने महेन्द्र जेवो अडग-अणनम हतो. अत्यन्त विशुद्ध-खानदान-राजकुल- रावल-वंशनो ए राजा बधां राजलक्षणोथी विभूषित हतो, पने बहुजनो बहुमान आपता-पूजता. सर्वगुणसंपन्न क्षत्रिय लोहीनो ए राजा योनिशुद्ध हतो, पनो मूर्धाभिषेक थपलो हतो, पनां मातापिता विशुद्ध वंशनां हता. __ए, मनुष्योनो इन्द्र सेय राजा सीमंकर सीमंधर क्षेमंकर क्षेमंधर हतो ए माटे ज जनपदनो पिता जेवो हतो; जनपदनो पालक अने पुरोहित, जनपदमा सेतुओ" अने केतुओ करनार ए राजा, नरवर, पुरुषप्रवर, पुरुषसिंह, पुरुषव्याघ्र, पुरुषाशीविष, पुरुषवरपु. ण्डरीक अने पुरुषवरगंधहस्ती हतो. नगरीमा सूर्याभदेव भगवानने वांदवा आन्यो अने तेणे तेमनी पासे नृत्य करी बताव्यु तथा जे नगरीमां भगवाने प्रदेशीराजानी कथा कहेली ते आमलकप्पा नगरीनो स्वामी आ 'सेय छे. टीकाकार मलयगिरि 'सेय'र्नु संस्कृत रूपांतर श्वेत' कहे छे पण वेत' छे के 'श्रेय' छे ए कोण कही शके ? २७ मूळमां 'अच्चंतविसुद्धायकुलवंसप्पसूए' एवं राजानुं विशेषण छे एमां 'कुल' अने 'वंश' ए बे एक साथे मूकेला पर्यायवाचक शब्दोनो १० खास उपयोग जणातो नथी. 'अत्यंत विशुद्ध एवा जे राजकुल-रावळ-वंश तेमां जन्मेलो' एवो अर्थ लइए तो 'रायकुल' अने 'वंश' बन्ने शब्दोनी चरितार्थता छे. जणावेलो अर्थ बराबर होय तो ए विशेषणनो रायकुल' शब्द बाप्पा रावळना 'रावळे' वंशनो सूचक कहेवाय. राजकुल-राजउल-राउल-रावळ बाप्पानी ए वंश सुप्रसिद्ध छे पण ते वंशनो उत्पादक मूळ पुरुष कोण अने क्यारे थयो ! ए निश्चित रीते शोधी शकाय तो आगमोना इतिहास अने समय विशे विशेष अजवाळु पडे. २८ सेतुओ एटले मार्गों अर्थात् ए राजा मार्गोनो देशक छे, केतुओ एटले आश्चर्य ऊपजावे तेवा बनावो-ए राजा आश्चर्यकारक बनावोनो उत्पादक छे. राजानो आ बधो वर्णक कविसमयनी भाषामा लखेलो छे. एथी तेने ते रीते समजबो जोइए. Jain Education infernal For Private & Personel Use Only jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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