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________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार राजानुं वर्णन ॥१२॥ पाडा शिंगडु-ए बधां करताय वधारे काळी ते शिलापाट, जोनारने केम जाणे पथराइने बेठेला भमराओगें झुंड न होय एवो भास करावती हती. ___पनो काळो रंग घन-घेरो हतो, ५ क्याय कोठलानी जेम पोली न हती, रूपमात्रनां प्रतिबिंबो तेमा आरिसानी पेठे पडतां, घाटे सिंहासन जेवी आठखूणी प पाटनी बधी बाजुनी कोरोमां मोतीओ जडेलां हतां, चामडानुं वस्त्र, रू, माखण अने माकडानुरूप बधानी | जेम पनी सुवाळप हती; पवी रत्नमय" रम्य शिलापाट ५ अशोकवृक्षनी नीचे आवेली हती. [५] आ तरफप नगरीमा राजा सेयः अने राणी धारिणीनु राज्य हतुं. २५ रत्नमय शिलापाट अने वळी एनी कोरोमा मोतीओनुं जडतर; आ अने आवा बीजा रत्नमय, वज्रमय, मणिमय, वैडूर्यमय के सुवर्णमय पदार्थना वर्णन उपरथी ते समयनी संपत्तिनी बहुलता ज कल्पी शकाय पण ए नयु अतिहासिक सत्य छे एम तो केम कहेवाय ? 'लंकामा सोनुं पाके छे', 'जे जाय जावे ते, परियाना परिया चावे एटलं धन लावे' इत्यादि वाक्योनो जे आशय छे ते ज आशय आ 'रत्नमय शिलापाट' नो छे. आ प्रकारना वर्णको एक प्रकारनी अतिशयवाळी भाषा छ, लोकमानसने लक्ष्यमा राखीने आवा वर्णको करवा पडे छे. कथाग्रंथोमा आवा वर्णको होय तोज कथाकार सफळ थयो गणाय. २६ राजा 'सेय'नो विशेष वृत्तांत जाणवामां नथी. स्थानांग सूत्रना आठमा ठाणामां श्रमण भगवान महावीरे प्रवजित करेला आठ राजाओनां नामो गणावतां सूत्रकारे तेमां ऐक नाम 'सेय' पण मूकेछं छे. ए 'सेय' आ के बीजो कोइ ते विशे नक्की कही शकातुं नथी. टीकाकार अभयदेव तो ते 'सेय' आ ज सेय' छे एम जणावे छे. तेओ लखे छे के "तथा सेये आमलकल्पानगर्याः स्वामी, यस्यां हि सूर्यकाभो देवः |१५|| सौधर्माद् भगवतो महावीरस्य वन्दनार्थमवततार नाट्यविधि चोपदर्शयामास, यत्र च प्रदेशिराजचरितं भगवता प्रत्यपादि इति" अर्थात् जे आमलकप्पा For Private Personal Use Only JainEducation flemional jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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