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________________ रायपसेणइय। ॥३३२॥ वैराग्यम् पएसी! पुब्धि रमणिजे भवित्ता पच्छा अरमणिजे भविजासि जहा वणसंडे इ वा। पएसिनृपेण [२००] तए णं पएसी केसि कुमारसमणं एवं वयासी-णो खलु भंते ! अहं पुचि रमणिज्जे भवित्ता पच्छा कृता अरमणिज्जे भविस्सामि, जहा वणसंडे इ वा जाव खलवाडे इ वा, अहं णं सेयवियानगरीपमुक्खाई सत्त गामस स्वधन हस्साइं चत्तारि भागे करिस्सामि, एगं भागं बलवाहणस्स दलइस्सामि, एगं भागं कुहागारे छुभिस्सामि, एग व्यवस्था भागं अंतेउरस्स दलइस्सामि, एगेणं भागेणं महतिमहलयं कूडागारसालं करिस्सामि, तत्थ णं बहहिं पुरिसेहिं पएसीदिनभइभत्तवेयणेहिं विउलं असणं० उवक्खडावेत्ता बट्टणं समणमाहणभिक्खुयाणं पंथियपहियाणं परिभाए नृपस्य माणे बहहिं सीलव्वयगुणव्वयवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासस्स जाव विहरिस्सामि त्ति कट्ठ जामेव दिसिं पाउभूए तामेव दिसिं पडिगए।। [२०१] तए णं से पएसी राया कल्लं जाव तेयसा जलंते सेयवियापामोक्खाई सत्त गामसहस्साई चत्तारि भाए कीरइ, एगं भागं बलवाहणस्स दलइ जाव कूडागारसालं करेइ, तत्थ णं बहहिं पुरिसेहिं जाव उवक्खडा-१० वेत्ता बहणं समण-जाव परिभाएमाणे विहरह। २०२] तए णं से पएसी राया समणोवासए अभिगयजीवाजीवे० [पृ० १९० पं०६] विहरइ, जप्पभिई च णं पएसी राया समणोवासए जाए तप्पभिई च णं रज्जं च रहें च वलं च वाहणं च कोहागारं च पुरं च अंतेउरं |च जणवयं च अणाढायमाणे यावि विहरति । Jain Education femella For Private & Personel Use Only Mainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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