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रायपसेण
इयं।
गतिया हयगया जाव अप्पेगतिया गयगया पायचारविहारेण [पृ० ४१ पं०४] महया महया वंदावंदएहिं चिचो सारनिग्गच्छति, एवं संपेहेइ संपेहित्ता कंचुइज्जपुरिसं सहावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी-किं णं देवाणुप्पिया। अज ही केसिसावत्थीए नगरीए इंदमहे इ वा जाव सागरमहे इ वा जेणं इमे यहवे उग्गा भोगा. णिग्गच्छंति?
कुमारतए णं से कंचुईपुरिसे केसिस्स कुमारसमणस्स आगमणगहियविणिच्छए चित्तंसारहिं करयलपरिग्गहियं |
श्रमणमुपजाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-णो खलु देवाणुप्पिया! अज्ज सावत्थीए णयरीए इंदमहे इ वा जाव सागरमहे इ ५
गतः वा जेणं इमे बहवे जाव विंदाविंदएहिं निग्गच्छति, एवं खलु भो! देवाणुप्पिया! पासावचिजे केसी नाम कुमार
॥२८७॥ समणे जाइसम्पन्ने [पृ० २८१ पं०८] जाव दुइजमाणे इहमागए जाव विहरइ, तेणं अज सावत्थीए नयरीए | बहवे उग्गा जाव इन्भा इन्भपुत्ता अप्पेगतिया बंदणवत्तियाए जाव महया वंदावंदएहि णिग्गच्छन्ति ।
[१४९] तए णं से चित्त सारही कंचुइपुरिसस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म हहतुट्ठ-जाव-हियए कोडुबि| यपुरिसे सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! चाउग्घेट आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव सच्छत्तं उबट्ठवेंति, तए ण से चित्ते सारही बहाए कयवलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाई वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता चाउरघंट आसरहं दुरूह सकोरिंटमल्लदामेणं छत्तणं धरिजमाणेणं महया भडचडगरेण विंदप
[१४९] १ चतस्रो घण्टा अवलम्बमाना यस्मिन् स तथा, २ अश्वप्रधानो रथोऽश्वरथः तं, ३ युक्तमेव अश्वादिभिरिति गम्यते,
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