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सू०८८1
श्रीस्थानाङ्ग
सूत्रदीपिका वृत्तिः ।
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दो देवीओ महिड्ढियाओ जाव पलिओवमट्ठितियाओ परिवसंति, तं०-सिरी चेव, लच्छी चेव, एवं महाहिमवंतरुप्पीसु वासहरपन्वपसु दो महद्दहा पं०त बहुसमजाव त महापउमद्दहे चेव महापुंडरीयबहे चेव, दो देवीओ हिरिच्चेव बुद्धिच्चेव, एवं णिसढणीलवतेसु तिगिछिद्दहे चेव केसरिबहे चेव, देवताओ धिती चेव कित्ती चेव, जंबूमंदर दाहिणेण महाहिमवंताओ वासहरपब्वयाओ महापउमद्दहाओ दहाओ दो महाणदीओ पवहति, तं०-रोहियच्चेव हरिकंतच्चेव, एवं निसढाओ वासहरपब्वयाओ तिगिच्छिद्दहाओ दो महानईओ पं० त०-हरिच्चेव सीओयच्चेव, जंबूमंदर० उत्तरेण णीलवंताओ वासहरपव्वयाओ केसरिइहाओ दो महानईओ पवहति, तं०-सीता चेव णारिकता चेव, एवं रुप्पीओ वासहरपव्वयाओ महापोंडरीयद्दहाओ दो महानईओ पवहति, तं०-णरकता चेव रुप्पकूला चेव, जंबूमंदर० दाहिणेणं भारहे वासे दो पवायदहा पं० त-बहुसम०, त० गंगप्पवायदहे चेव सिंधुप्पवायदहे चेव । एवं हेमवए वासे दो पवायदहा पं० २०-बहुसम० त०-र हियप्पवायहहे चेव रोहियंसप्पवायद्दहे चेव, जंबूमंदर० दाहिणेण हरिवासे वासे दो पवायद्दहा पं० बहुसमतुल्ला जाव० त०-हरिप्पवायहहे व हरिकंतप्पवायहहे चेव, जंबूमंदरउत्तरदाहिणेण महाविदेहे वासे दो पवायदहा पं. बहुसम० जाव सीयप्पवायहहे चेव सीओयप्पवायहहे चेव, जंबूमंदरउत्तरेण रम्मए वासे दो पवायद्दहा पं० २०-बहुसम० जाव णरकंतप्पवायहहे चेव णारिकतप्पवायहहे चेव, एवं हेरण्णवप वासे दो पवायदहा पं० त०-बहुसम० सुवन्नकूलप्पवायहहे चेव रुप्पकूलप्पवायइहे चेव, जंबूमंदरउत्तरेण परवए वासे दो पवायदहा पं० बहुसम० जाव रत्तप्पवायद्दहे चेव रत्तावइप्पवायहहे चेव, जबूमंदरदाहिणेण भरहे वासे दो महानईओ पं० बहु० जाव गंगा चेव सिंधू चेव, एवं जधा पवातद्दहा एवंणईओ भाणियवाओ, जाव परवप वासे दो महानईओ पं०-बहुसमतुल्लाओ जाव रत्ता चेव रत्तवती चेव ॥ (सू० ८८)
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