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श्रीस्थानाङ्ग
सू०३०४-३०५।
सूत्र
दीपिका वृत्तिः ।
॥३२६॥
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भाणियव्वा, तेसि ण दीवाण' चउसु विदिसासु लवणसमुह छ छ जोयणसयाई ओगाहित्ता पत्थ ण चत्तारि अंतरदीवा ५० त०-आसमुहे दीवे, हत्थिमुहे दीवे सीहमुहे दीवे वग्धमुहे दीवे, तेसु ण दीवेसु मणुस्सा भाणियब्वा, तेसि ण दीवाण चउसु विदिसासु लवणसमुह सत्त सत्त जोयणसयाई ओगाहित्ता पत्थ ण चत्तारि अंतरदीवा पंत-आसकण्णदीवे हथिकण्णदीवे अकण्णदीवे कण्णपाउरणदीवे, तेसु ण दीवेसु मणुया भाणियव्या, तेसि ण दीवाण चउसु विदिसासु लवणसमुद्द अट्टह जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ ण चत्तारि अंतरदीवा ५० त०-उक्कामुहदीवे मेहमुहृदीवे विज्जुमुहदीवे, विज्जुदंतदीवे, तेसु ण दीवेसु मणुस्सा भाणियब्वा, तेसि ण दीवाण चउसु विदिसासु लवणसमुद्द नव नव जोयणसयाई ओगाहित्ता पत्थ ण चत्तारि अंतरदीवा ५० त०घणदंतदीवे लट्ठदंतदीवे गूढदंतदीवे सुद्धदंतदीवे, तेसु ण दीवेसु चउन्विहा मणुस्सा परिवसंति, त-घणदंता लट्ठदंता गूढदंता सुद्धदंता, जंवूद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरेण सिहरिस्स यासहरपब्बयस्स चउसु विदिसासु लवणसमुद्दतिण्णि तिण्णि जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ ण चत्तारि अंतरदीवा पं० २०-पगूरूयदीवे सेस तहेव णिरवसेस भाणियब जाव सुद्धदंता (सू० ३०४) जंबूद्दीवस्स ण दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयताओ चउद्दिसि लवणसमुद्द पंचाणउई जोयणसहस्साई ओगाहेत्ता एत्थ ण महइमहालया महालंजरसंठाणसंठिया चत्तारि महापायाला ५० त०-वलयामुहे केउप जूवए ईसरे, तत्थ ण चत्तारि देवा महड्ढिया जाव पलिओवमट्टिइया परिवसति, त-काले महाकाले वेलंबे पभंजणे, जवूद्दीवस्स ण दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयंताओ चउदिसि लवणसमुई बायालीस बायालीसौं जोयणसहस्सा ओगाहेत्ता एत्थ ण चउण्ह वेलंधरनागरायाण चत्तारि आवासपब्बया ५० त०-गोथूमे उदयभासे संखे दगसीमे, तत्थ ण चत्तारि देवा महड्ढिया जाव पलिओवमट्टिइया
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