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________________ श्रीस्थानाङ्ग सूत्रदारिका वृत्ति. ॥२३॥ Jain Education Internal सम्मद्दिट्ठियाण घग्गणा, एगा मिच्छदिट्ठियाणं वग्गणा, एगा सम्मामिच्छद्दिट्टियाणं वग्ग्णा, एगा सम्मद्दिट्टिया ं णेरइयाण चगणा. एगा मिच्छद्दिडियाण णेरइयाणं वग्गणा, एगा सम्मामिच्छद्दिहियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एवं जाव थणियकुमाराण वग्गणा, पगा मिच्छद्दिडियाणं पुढविकाइयाणं वग्गणा, एवं जाव वणस्सइकाइयाण वग्गणा, पा सम्महिडियाण बेदाग वग्गणा, एगा मिच्छद्दिडियाण बेद दियाणं वग्गणा, एवं तेड़ दियाणपि चउरिदिय(णवि, सेसा जहा रहया जाएगा मिच्छद्दिडियाणं वैमाणियाण वग्गणा, एगा सम्मदिट्ठियाणं वेमाणियाणं वग्गणा, एगा सम्ममिच्छद्दिट्ठियाण' वैमाणियाण' वग्गणा, एगो हपक्खियाणं वग्गणा, पगा सुक्कपक्खियाण वग्गणा, एगा कण्हपक्खियाण णेरइयाण arगणा एगा सुकपक्खियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एवं चडवीसद डओ भाणियव्वो, एवं कण्हलेलाण' वग्गणा, पगा नीलसाण' वग्गणा, एवं जाव सुक्कलेसाणं वग्गणा, पगा कण्हलेसाणं णेरइयाणं वग्गणा, जाव काउलेसाण णेरइयाण वग्गणा, पर्व जस्स जइ लेसाओ, भवणपतिवाणमं तर पुढविआउवणस्स इकाइयाणं च चत्तारि लेसाओ, तेउवाउये दिअतिइ दिय चतुरित्रियाणं तिम्नि लेखाओ, पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं छल्लेसाओ, जोइसियाणं एगा तेउलेस्सा, वेमाणि याण तिन्नि उबरिमलेस्साओ, पगा कण्हलेसाणं भवसिद्धियाणं वग्गणा, एगा किण्डलेसाण अभवसिद्धियाणं वग्गणा एवं सुवि लेसासु दो दो पदाणि भाणियव्वाणि, एगा कण्हले साण ं भवसिद्धियाणं णेरइयाणं वग्गणा, पगा कण्हलेला अभ वसिद्धियाण रयाणं वग्गणा, एवं जस्स जत्तियाउ लेसाओ तस्स तत्तियाउ भाणियव्त्राओ जाव वेमाणियाण, एगा कण्हलेस सम्मद्दिहियाणं वग्गणा, एगा कण्हलेसाणं मिच्छद्दिट्ठियाणं वग्गणो, एगा कण्हलेसाणं सम्मामिच्छद्दिट्टियाण गणा, एवं छवि लेसासु जाव वैमाणियाण जेसि जदि दिडीओ, एगा कण्हलेसाणं कण्हर्पाक्खाणं वग्गणा, एगा कलेमा सुक्कपक्खियाण वग्गणा, जात्र वैमाणियाणं जस्स जइ लेसाओ पर अड (ड) चउवीसदंडगा पगा तित्थसिद्वाणं वग्गणा, एगा अतित्थसिद्धाणं वग्गणा, एवं जाव एगा एक्कसिद्धाणं वग्गणा, एगा अणिकसिद्धाणं वग्गणा, पगा पढमसमयसिद्धाणं वग्गणा, एवं जाव अनंतसमयसिद्धाणं वगणा एगा परमाणुयोग्गलाण वरगणा एवं जाव For Private & Personal Use Only २०५१ ॥२३॥ www.jainelibrary.org
SR No.600142
Book TitleSthanang Sutra Dipika Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalharsh Gani, Mitranandvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1974
Total Pages454
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sthanang
File Size23 MB
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