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________________ सू० १५४। श्रीस्थानाङ्ग सूत्रदीपिका वृत्तिः । ॥१६७॥ तुंबा तुडिया पव्वा, एवं अग्गमहिसीणवि, बलिस्सवि एवं चेव, जाव अग्गमहिसीण, धरणस्स य सामाणियतायत्तीसगाण च मिया चंडा जाया, लोगपालाण अग्गमहिसीणं ईसा तुडिया दढरहा, जहा धरणस्स तहा सेसाण भवणवासीण, कालस्स ण पिसाइदस्स पिसायरण्णो तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, तं०-ईसा तुडिया दढरहा, एवं सामाणियअग्गमहिसीणंपि, एवं जाव गीयरतीगीयजसाण, चंदस्स ण जोइसिंदस्स जोइसरण्णो तओ परिसाओ पण्णत्ताओ त-तुंबा तुडिया पन्या, एवं सामाणियअग्गमहिसीण', पव सूरस्सवि, सक्कस्स ण देविंदस्स देवरण्णो तओ परिसाओ पं० त०-समिया चंडा जाया, एव जहा चमरस्स जाव अग्गमहिसीणं, एवं जाव अच्चुयस्स लोगपालाणं (सू० १५४)। सुगमश्चाय, नवरं 'असुरिंदस्से त्यादौ इन्द्र ऐश्वर्ययोगात् राजा तु राजनादिति, 'परिषत्' परिवारः, सा च त्रिधा प्रत्यासत्तिभेदेन, तत्र ये परिवारभूता देवा देव्यश्चात्यन्तगौरव्यत्वात् प्रयोजनेऽप्याहृता एवागच्छन्ति सा अभ्यन्तरा पर्पत , ये त्वाहता अनाहूताश्चागच्छन्ति सा मध्यमा, ये त्वनाहृता अप्यागच्छन्ति सा बाह्येति, तथा यया सह प्रयोजन पर्यालोचयति साऽऽद्या, यया तु तदेव पर्यालोचित सत् प्रपञ्चयति सा द्वितीया, यस्यास्तु तत् प्रवर्णयति साऽन्त्येति ॥ अनन्तरं पर्पदुपपन्ना देवाः प्ररूपिताः, देवत्वं च कुतोऽपि धर्मात् , तत्प्रतिपत्तिश्च कालविशेषे भवतीति कालविशेषनिरूपणापूर्व तत्रैव धर्मविशेषाणां प्रतिपत्तीराह तओ जामा ५० तं-पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, तिहिं जामेहिं आया केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्जा सवणयाए त-पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, एवंजाव केवलणाणं उप्पाडेज्जा पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे । तओ वया पं० त०-पढमे वए मज्झिमे वये पच्छिमे वए, तिहिं वपहिं आया केवलिपण्णत्त धम्म लभेज्ज ॥१६७॥ Jan Education For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600142
Book TitleSthanang Sutra Dipika Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalharsh Gani, Mitranandvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1974
Total Pages454
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sthanang
File Size23 MB
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