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________________ स्यगडाङ्ग सूत्रं दीपिकान्वितम् । ॥६८॥ पिंडवाइया, सुद्धेसणिया अंताहारा पंताहारा अरसाहारा विरसाहारा लूहाहारा तुच्छाहारा, अंतजीवी !! द्वितीये पंतजीवी, आयंबिलिया पुरमड्डिया निविगइया, अमजमंसासिणो नो निकाम[नो नियाग] रसोई || श्रुत० द्वितीयाठाणाइया पडिमाठाणाइया उक्कडुआसणिया नेसज्जिया वीरासणिया दंडायतिया लगंडसाइणो ध्यपने[आयावगा] अवाउडा अगत्तया अकंडुया अनिढुहा* धुतकेसमंसुरोमनहा, सव्वगायपडिकम्म नगारगुण विप्पमुक्का चिटुंति । [ते णं] एतेणं विहारेणं विहरमाणा बहूइं वासाइं सामनपरियागं पाउणंति वर्णनम् । पाउणित्ता आबाहसि उप्पन्नंसि वा अणुप्पन्नसि वा बहूई भत्ताइ[पञ्चक्खंति],पञ्चक्खित्ता बहूइं भत्ताई अणसणाए छेदिति, छेदित्ता जस्सट्टाए कीरइ नग्गभावे मुंडभावे अण्हाण[भारे] गे(?) IN अदंतवणगे अच्छत्तए अणोवाहणए, भूमिसेजा फलगसेज्जा कटुसेजा केसलोए बंभचेरवासे परघरपवेसे लद्धावलद्धे माणावमाणाओ हीलणाओ निंदणाओ खिसणाओ गरहणाओ तजणाओ पाणिका शिरश्च वा (?) भूमौ लगति तथा शयनं कुर्वतः । आतापका-आतापनाप्राहिणः । 'अबाउडा' अप्रावृताः-प्रावरणवर्जकाः । हा' अनिष्ठीवनाः।" इति हर्ष कुलीयदीपिकायाम् । ॥६ ॥ आणता mar For Private & Personal use Oh wwwEjainelibrary.org Jain Educationalainal I
SR No.600140
Book TitleSuyagadanga Sutram Part-2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar Gani
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1962
Total Pages342
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size15 MB
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