________________
संग्रहणी
॥१२९॥
Jain Education
जक्खपिसायमहोरगगंधवा साम किन्नरा नीला । रक्खसकिंपुरिसाविअ, धवला भूआ पुणो काला ॥ ३४ ॥ अणपन्नी पणपन्नी, इसिवाइअ भूअवाइए चेव । कंदी अ महाकंदी, कोहंडे चेव पयए अ ॥ ३५ ॥ इअ पढमजोअणसए, रयणाए अट्ठ वंतरा अवरे । तेसु इह सोलसिंदा, रुअग अहो दाहिणुत्तरओ ॥ ३६ ॥ सामाणिआण चउरो, सहस्स सोलस य आयरक्खाणं । पत्तेअं सचेसिं, वंतरवर ससिरवीणं च ॥ ३७ ॥ समभूतलाउ अहिं, दसूणजोअणसएहिं आरम्भ । उवरि दसुत्तरजोअणसयंमि चिट्ठति जोइसिआ ॥ ३८ ॥ तत्थ रखी दसजोअण, असीइ तदुवरि ससी उ रिक्खेसु । अह भरणि साइ उवरि, वहि मूलोऽभिंतरे अभिई ॥ ३९ ॥ एक्कास जोअणसय, इगवीसिकारसाहिआ कमसो । मेरुअलोगाबाहं, जोइसचकं चरइ ठाइ ॥ ४० ॥ अद्धकविट्ठागारा, फलिहमया रम्म जोइसविमाणा । वंतरनगरेहिंतो, संखिजगुणा इमे हुंति ॥ ४१ ॥ जोगट्टिभागा, छपन्नडयालगाउदुइगद्धं । चंदाइविमाणायामवित्थडा अद्धमुच्चतं ॥ ४२ ॥ पणया लक्खजोअण, नरखेत्तं तत्थिमे सया भमिरा । नरखित्ताउ वहिं पुण, अद्धपमाणा ठिआ निचं ॥ ४३ ॥ ससिरविगहनक्खत्ता, तारा हुंति हु जहुत्तरं सिग्घा । विवरीआ उ महिडीअ, विमाणवहगा कमेणेसिं ॥ ४४ ॥ सोलस सोलस अडचउ, दो सुरसहसा पुरो य दाहिणओ। पच्छिम उत्तर सीहा, हत्थी वसहा हया कमसो ॥ ४५ ॥ गह अट्ठासी नक्खत्त, अडवीसं तार कोडिकोडीणं । छासट्ठिसहस्स नवसय, पणहत्तरि एगससिसिन्नं ॥ ४६ ॥
For Private & Personal Use Only
सूत्रम्.
॥ १२९ ॥
ww.jainelibrary.org