SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कोडाकोडी सन्नंतरंति मन्नंति खेत्तथोवतया। केई अन्ने उस्सेहंगुलमाणेण ताराणं ॥४७॥ किण्ड राइविमाणं, निचं चंदेण होइ अविरहियं । चउरंगुलमप्पत्तं, हिट्ठा चंदस्स तं चरइ ॥४८॥ तारस्स य तारस्स य, जंबुद्दीवंमि अंतरं गुरुरं । बारस जोअणसहसा, दोनि सया चेव बायाला ॥४९॥ छावट्ठा दो अ सया, जहन्नमेअं तु होइ वाघाए । निवाघाए गुरुलहु, दो गाउअ धणुसया पंच ॥५०॥ माणुसनगाउ बाहिं, चंदा सूरस्स सूर चंदस्स । जोअणसहसा पन्नासणूणगा अंतरं दिढें ॥५१॥ ससि ससि रवि रवि साहिअ-जोअणलक्खेण अंतरंहोइ।रविअंतरिआ ससिणो, ससिअंतरिआ रवी दित्ता ॥५२॥ उद्धारसागरदुगे, सढे समएहिं तुल दीवुदही । दुगुणादुगुणपवित्थर, वलयागारा पढमवजं ॥५३॥ पढमो जोअणलक्खं, वट्टो तं वेढिउं ठिआ सेसा । पढमो जंबूद्दीवो, सयंभुरमणोदही चरमो॥५४॥ जंबु धायइ पुक्खर, वारुणि खीर घय खोअ नंदिसरा । अरुणऽरुणुवाय कुंडल, संख रुअग भुअग कुस कुंचा॥५५॥ पढमे लवणो जलही, बीए, कालोउ पुक्खराईसुं । दीवेसु हुंति जलही, दीवसमाणेहिं नामेहिं ॥५६॥ आभरणवत्थगंधे, उप्पलतिलए अ पउमनिहिरयणे । वासहरदहनईओ, विजया वक्खार कप्पिंदा ॥ ५७ ॥ कुरुमंदरआवासा, कूडा नक्खत्तचंदसूरा य । अन्नेवि एवमाई, पसत्थ वत्थूण जे नामा ॥ ५८॥ तन्नामा दीवुदही, तिपडोआयार हुंति अरुणाई । जंबूलवणाईआ, पत्ते ते असंखेजा ॥ ५९॥ Jain Education india For Privale & Personal use only Aaw.jainelibrary.org
SR No.600134
Book TitleSangrahani Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1915
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy