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SACRORECASSAMASSES
छच्च सया तेत्तीसा, तीस कला पंचगुणिअंमि ॥ ८६ ॥ सत्तगुणे छल्लक्खा, इगसट्ठिसहस्स छसय छासीआ। चउपन्न कला तह नवगुणम्मि अडलक्ख सड्ढा उ ॥ ८७ ॥ सत्त सया चत्ताला, अट्ठारकला य इअ कमा चउरो। चंडा चवला जयणा, वेगा य तहा गई चउरो ॥ ८८॥ एत्थ य गई चउत्थि, जवणयरिं नाम केइ मन्नंति । एहिँ कमेहिमिमाहि, गइहिं चउरो सुरा कमसो ॥ ८९ ॥ विक्खम्भं आयामं, परिहिं अभितरं च बाहिरियं । जुगवं मिणति छम्मास, जाव न तहावि ते पारं ॥ ९० ॥ पावंति विमाणाणं, केसिपि हु अहव तिगुणिआईए। कमचउगे पत्तेअं, चंडाइगईउ जोइजा ॥ ९१ ॥
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