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________________ वैराग्यशतकम्। ॥१५॥ CUCKOCOLAMMA द विहु तासिं, मारसि भत्तारपमुहे अ॥१६॥ सोहम्गेण य नडिओ, कूडविलासेहिं (?) कुणसि ताहिँ समं । इण्हिं तु तत्त- गुणविन तंवय-डिउल्लियाणं पलाएसि ॥ १७ ॥ परकीयच्चिय भज्जा, भुजइ निअया उ माउभइणीओ। एवं च दुविअड्डत्त-ग- यीया|धिओ वयसि सिक्खविओ ॥ १८ पिंडेसि असंतुट्ठो, बहु पावपरिग्गहं तहा मूढो । आरंभेहि अ तूससि, रूससि ? किं इत्थ व्याख्या। दुक्खेहिं ॥१९॥ आरंभपरिग्गहव-जियाण निबहइ अम्ह न कुटुंबं । इय भणियं जस्स कए, तं आणसु दुहविभागऽत्थं ॥ २०॥ भरियं पिवीलियाई-ण सीविअं जइ मुहं तुहऽम्हेहिं । ता होसि पराहुत्तो, भुंजसि रयणीइ पुण मिहें। ॥२१॥ पियसि सुरं गायंतो, वक्खाणंतो भुआहि नचंतो । इह तत्ततिलतुंब-तऊणि किं पीअसि न हयास!॥ २२॥गुरुदेवाणुवहासो, विहिआ आसायणा वयं भग्गं । लोगो अ गामकूड-तणाइभावेसु संतविओ ॥ २३ ॥ इय जइ नियहत्थारो-वियस्स तस्सेव पाव विडवस्स । भुंजसि फलाइँ रे दुठ्ठ!, अम्ह ता इत्थ को दोसो? ॥ २४ ॥ इच्चाइ पुवभवदु-कया. सुमराविउं निरयपाला । पुणरवि वियणा उ उई-रयंति विविहप्पयारेहिं ॥ २५ ॥ उक्कत्तिऊण देहा-उ ताण मंसाइ चडप्फडंताण । ताणं चिय वयणे प-क्खिवंति जलणम्मि भुंजे ॥२६॥रे रे! तुह पुवभवे, संतुट्ठी आसि मंसरसिएहिं । इअ भणिउं तस्सेव य, मंसरसं गिहिउँ दिति ॥ २७ ॥ तिरियाण य भारारो-वणाणि सुमराविऊण खंधेसु । चडिऊण सुरा तेसिं, भरेण भंजंति अंगाई ॥ २८ ॥ दीणा सबनिहीणा, नपुंसगा सरणवज्जिया खीणा । चिट्ठति नरयवासे, नेरइया अहव किं बहुणा ॥ ३९ ॥ अच्छि निमीलणमित्तं, नत्थि सुहं दुक्खमेव अणुवद्धं । नरए नेरइयाणं, अहोनिसं पच्चमाणाणं ॥१५॥ १ अस्ति सास्वपि प्रतिष्वयं वर्णः, परमर्थसङ्गतिरस्याभावे एवेति मे मतिः । R Jan Education For Private Personal use only ww.rainelibrary.org
SR No.600132
Book TitleVairagya Shatakadi Granth Panchakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharmuni
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1941
Total Pages172
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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