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________________ दड्डा भग्गा मुडिया, तोडिया तह वीलीणा य ॥१॥ पावोदएण पुणरवि, मिलंति तह चेव पारयरसुव । इच्छंता वि हुन मरंति, कह वि ते नारय वराया ॥२॥पभणंति तओ दीणा, मा मारेह सामि ! पहु नाह! । अइदुसहं दुक्खमिणं, पसिअह मा कुणह एत्ताहे ॥ ३॥ एवं परमाहम्मिय-पाएसु पुणो पुणो वि लग्गंति । दंतेहिं अंगुलीओ, गिण्हंति भणंति दीणाइं॥४॥ तत्तो अ निरयपाला, भणंति रे ! अज्ज दूसहं दुक्खं । जइआ पुण पावाई, करेसि तुट्ठो तया भणसि ॥५॥ नत्थि जए सबन्नू , अहवा अहमेव एत्थ सबविऊ । अहवा वि खाह पिअह, दिट्ठो सो केण परलोओ? ॥६॥ खंता पियंता इह जे मरंति, पुणो वि ते खंति पियंति राई । खुहाई तत्ता पुण जे मरंति, पुणो वि तप्पंति खुहाई ते ऊ ॥७॥ नत्थि अ पुण्णं पावं, भूअऽन्भहिओ अ दीसइ न जीवो । इच्चाइ भणसि तइया, वायालत्तेण परितुट्ठो ॥८॥ मंसरसंमि य गिद्धो, जइया मारेसि निग्विणो जीवे । भणसि तया अम्हाणं, भक्खमिणं निम्मियं विहिणा ॥९॥ वेयवि-15 हिया न दोसं, जण्णे अहिंस त्ति अहव जंपेसि । चरचरचरस्सतो फा-लिऊण खाएसि परमंसं ॥ १०॥ लावयतित्तिरिअंडय-रसवसमाईणि पियसि अइगिद्धो । इहिं पुण पुक्कारसि, अइदुसहं दुक्खमेयंति ॥ ११॥ अलिएहि वंचसि तया, कूडक्कयमाइएहिं मुद्धजणं । पेसुण्णाईण करे-सि हरिसिओ पलवसि इयाणिं ॥ १२॥ तइआ खणेसि खत्तं, घायसि वीसंभियं मुससि लोयं । परधणलुद्धो बहुदे-सगामनगराई भंजेसि ॥ १३ ॥ तेण वि पुरिसयारे-ण विनडिओ मुणसि तणसमं भुवणं । परदवेणं विलसेसि, कुणसि पुकार किं पुणिण्हि ? ॥ १४ ॥ मा हरसु परधणाई, सिक्खविओ भणसि चिट्ठयाए है अ । सबस्स वि परकीयं, सहोअरं कस्स वि न दवं ॥ १५ ॥ तझ्या परजुवईणं, चोरियरमियाई मुणसि सुहाई । अइरत्तो Jain Education anal For Private &Personal use Only
SR No.600132
Book TitleVairagya Shatakadi Granth Panchakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharmuni
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1941
Total Pages172
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
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