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________________ गयाऽसि ? । महिलासहावसुलहं सा कित्तिममुत्तरं देइ ॥७३॥ जुअलं ॥ निद्दाघुम्मिअनयणो पुणोवि सुत्तो तहेव महिरमणो । सा पुण संकि अहिअया हिअए झाएइ पावहया ॥ ७४ ॥ धुवमज अकजरया इमेण परिजाणिअम्हि ता इहि । कहमवि मारेमि इमं जहा जहिच्छाइ विलसेमि ॥ ७५ ॥ इअ चिंतिअ दुहाए पाविद्याए निकिट्ठअंगुहो। रन्नो गलंमि दिन्नो धिद्धी असईण चरिआइं॥७६॥ बद्धमुहो मेसो इव तीइ तहिं सो विडंपिओ जह से । पाणा झडत्ति नहा भीआ इव तीइ दुट्टाए ॥ ७७ ॥ तो सा धम्मविमुक्का पुक्कारिअ उहिआ कवडचरिआ । हा हा हया हयाहं रन्नो जायं किमेअंति ? ॥ ७८ ॥ कालमुहा मेहा इव मंतिप्पमुहा महादुहा ताहे । वजाहयच जाया निवं निरूवित्तु निजीवं ॥ ७९ ॥ तीइ इमं दुचरिअं दुप्पिच्छं पिच्छिऊण 1 सर्वपि पावाणवि पावाए कुच्छाणवि कुच्छणिज्जाए ॥८॥ वजं विज्जूव सिला पडेउ निविडं इमीई सीसंमि । इअ अंतो पभणंतो तओवि तेणो स निक्खंतो॥ ८१॥ जुअलं॥ चिंतइ अ चोरिआए विग्घा बग्घा व किं समुहति ? । दुनिमित्ताणि इमाणि अ अलंघणिज्जाणि सविसेसं ॥ ८२॥ ता मह विहला विहवा जुषणलशच्छिच्च हा निसा एसा । अज्जवि अहवा गच्छे विहिअपइन्नाइ तीइ गिहं ॥ ८३ ॥ पडिवनयनिवाहो मज्झवि एवं हवेइ जइ कहवि । इअ चिंतिअ तीइ गिहं सुहसउणपणुल्लिओ स गओ ॥८४॥ पमुइअचित्तो तत्तो खणित्तु खत्तं निअं दुकम्मं व । पविसइ तीसे गेहं देहे जीवोब गूढगई ॥ ४५ ॥ जा तम्मंजूसाओ अमयं राहव! अमयकुंडाओ। सारं हरेइ ता सो तीए नाओऽणुमाणेणं ॥ ८६ ॥ जइवि अदिस्सो दस्सू एस पिसाउच पविसए। Jain Education a l For Private & Personal Use Only N ainelibrary.org
SR No.600129
Book TitleShraddh Pratikraman Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1919
Total Pages474
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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