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________________ साला मणिजा भवइ, जया णं पट्टसालाइ यो गिजइ जाव णो रमिजइ तथा णं णट्टसाला अरमणिजा भवइ । जया णं इक्खुवाडे छिइ भिजड़ खज पिजई दिजइ तथा गं इक्खुवाडे रमणिजे भवइ, जया गं इक्खुवाडे गो छिज‍ जाव तथा इक्वाडे अरमणिजे भवति, जया से खुलवाडे उच्छुभाइ उडइजर मंडलइजर पुलिजह खजड़ दिजइ विज्जइ तया खलवाडे रणिजे भवइ, जया णं खलवाडे नो उच्छुभइ तथा गं अरमणिजे भवइ । से तेणट्टेणं पएसी ! एवं बुच्च मागं तुमं पएसी पुत्र रमणिजे भवित्ता पच्छा अरमणिजे भविज्जासि, जहा वणसंडेइ वा जाव खलवाडेड् वा । तते णं पएसीराया केसि कुमारसमणं एवं वदासी-खो खलु भंते ! अहं पुत्र रमणि भवित्ता पच्छा अरमणिजे भविस्सामि । अहम् सेयवियानयरीपामोक्खाई सत्तगामसहस्साइं चत्तारिभागे करिस्सामि । एगं भागं बलवाहणस्स दलइस्सामि । एगं भागं कुट्टारे बुज्झिस्सामि एगं भागं अतउरे दलइस्सामि एगे णं भागेणं महति महालियमहाग सियं कूडागारसालं करिस्सामि, तत्थ बहु पुरिसेहिं दिपभइभत्तवेयणेहिं विउलेहिं असणपाणखाइमसाइमेहिं उवक्खडावेत्ता बहूणं समणमाहणभिक्खुयाणं पहियाणं परिभाएत्ता बहूहिं सीलव्ययपच्चक्खाणपोसहो वासस्स जाय विहरिरसामित्ति कडु, जामेव दिसिं पाब्भूतामेव दिसिं पडिगए । तए गं से पएसी राया कल्लं जाव जलते सेयबियापा मोक्खाई सत्तगामसहस्साई चत्तारिभाए करेइ एगं भागं बलवाहणस्स दलइ जाव कूडागारसालं करेइ, तत्थ णं बहूहिं पुरिसेहिं जाव उबक्खडेत्ता बहूणं समयं जाव परिभाएमाणे विरह इति राजप्रश्रीयोपाङ्गवृत्तौ ८६ प्रतौ ८४ पत्रे ॥ ५ ॥ ॥ इति श्रीमदकब्बरभूपालविशाल चित्तालवाल विवर्द्धितवृपरसालसालातिशालिशीलजगद्गुरुभट्टारक श्रीहीरविजयसूरिशिष्योपाध्याय श्री कीर्त्तिविजयसमुच्चिते श्रीविचाररत्नाकरे मध्यभागे श्रीराजप्रश्रीयविचारनामा द्वितीयस्तरङ्गः ॥ २ ॥ Jain Education Internal For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600127
Book TitleVichar Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtivijay, Dansuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages416
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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