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________________ वयंसए रहमुसलं संगाम संगामेमाणे एगेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकंए समाणे अत्थामे जाव अधारणि जमितिकट्ट, वरुणं णागणत्यं रहमुसलाओ संगामाओ पडिणिक्खम्ममाणं पासइ पासित्ता तुरए णिगिण्हइ णिगिरिहत्ता जहा वरुणे जाव तुरए विसजेइ विसजेत्ता दब्भसंथारगं दुरूहइरत्ता पुरत्थाभिमुहे जाव अंजलिं कट्ट एवं वदासि-जाइ णं भंते मम पियबालवयंसस्स वरुणस्स | णागणत्तुयस्स सीलाई वयाइं गुणाई वेरमणाई पञ्चक्खाणपोसहोववासाई ताइ णं ममंपि भवंतु त्तिकट्ट सम्पाहपटं मुयइ मुइत्ता सल्लद्धरणं करेइ करेत्ता आणुपुबीए कालगए । तए णं तं वरुणं णागणत्तुयं कालगयं जाणित्ता अहासंनिहिएहि वाणमंतरेहिं देवेहिं दिव्वे सुरभिगंधोदगवासे बुढ़े दसद्धवामे कुसुमे णिवाइए दिव्वे य गीयगंधव्वणिणाए कए यावि होत्था । तए णं तस्स वरुणस्सणागणत्तुयस्स तं दिव्वं देविड्ढेि दिव्वं देवज्जुत्तिं दिव्वं देवाणुभागं सुणित्ता य पासित्ता य बहुजणो अाममास्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ, एवं खलु देवाणुप्पिया बहवेमणुस्सा जाव उववत्तारो भवंति । वरुणेणं भंते ! णागण तुए कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ? गोयमा सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववाने, तत्थ णं अत्थे गइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता, तत्थ णं वरुणस्स वि देवस्स चत्तारि पलिअोवमाई ठिई पामत्ता । से णं भन्ते ! वरुणे ) देवे ताओ देवलोयाओ आउरकएणं भवकएणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतकरेहिति । वरुणस्स णं भंते! IN] नागनत्तुयस्स पियवालवयंसए कालमासे कालं किच्चा कहिं उववन्ने ? गोयमा ! सुकुले पञ्चायाते से णं भंते ! तओहितो ) अणंतरं उच्वाट्टत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेहिति" Jain Education Intel Helal For Private & Personel Use Only W ww.jainelibrary.org
SR No.600127
Book TitleVichar Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtivijay, Dansuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages416
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size21 MB
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