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________________ श्रीगुणचंद सिट्टकविजणविरइयाई नाडयाई भरहविजावियक्खणेहिं हावभावहत्थयाइपत्थावणपड्डएहिं नाडइजपुरिसेहिं नि-1 विश्वभूतिमहावीरच०सामेह य वेणवीणाणुगयं गायणजणाओ बहुघोलणप्पयारमणहरं पंचमगेयं, तहा एगतदेसटिओ निसुइ दू: क्रीडा. ३ प्रस्ताव सोवालंभवयणाई। कह? तीसे संकेयं संसिऊण पडिजुवइमणुसरंतेणं । नाह! तए जाजीवं दिन्नो लहुयत्तणकलंको ॥ १७ ॥ सुहय ! तुह विरहदुस्सहसिहिपसमत्थं ममाहरंतीए । तीसे सरसीसुं निट्टियाइं नवनलिणिनालाई॥१८॥ परिसरसहयारुग्गयनवमंजरिखंडणेण पइदियहं । तीसे ताण निमित्तं घटा मझंगुलीण णहा ॥ १९ ॥ पच्चासण्णे कयविविहकलरवे नीलकंठकलयंठे। परिसंता मज्झ भुया पइक्खणं उडवंतीए ॥२०॥ एइ पिउ एइ पिउ एसो सो हवसुतं खणं धीरा। थक्का मेहि जीहा पुणरुत्तं वाहरंतीए ॥२१॥ इय एरिसा अवत्था वट्टइ तुह पणयिणीऍ दुविसहा । जइ जीवंतिं वंछसि कुमार! ता तं लहुं सरसुं ॥२२॥ तहा कयाइ गोत्तखलियपरिकवियकामिणीपसायणप्पवणवयणप्पवंचविरयणेण कयाइ सुयसारियासंलावविगोएण कयाइ परोप्परसवत्तिकामिणीकयकलहकोलाहलनिसामणेण कयाइ णाणाविहदूरदेसोवणीयापुवतरुसंदोह-18॥३०॥ दोहलगदाणेण कयाइ संमयवणसिहंडितंडवावलोयणेण विविहं कीलइ । अण्णया य कुमारस्स कामिणीहि समं दुरोदरेण रमंतस्स समागओ मज्झंदिणसमओ। CARE Jain Educat i onal For Private & Personel Use Only M ainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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