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________________ Jain Education कहिंचि वरमालईमउलमालच्चियं, नाइनियविहवदंसणेण रोमंचियं ॥ ९ ॥ अण्णं च - कारंड हंसवगचक्कवाय भारुंड की रकुररेहिं । जीवंजीव कविंजलजलवा यस खंडरीडेहिं ॥ १० ॥ हारीयपंचवण्णयपारेवयपमुहविविद्यपक्खीहिं । सुसिद्धिबंधवेहि व सेविज्जइ जं सयाकालं ॥ ११ ॥ जत्थ य वम्महदुस्सहसराभिघाएहिं जज्जरंगीओ । बालमुणालुप्पलसत्थरेसु सिसिरेसु रमणीओ ॥ १२ ॥ चिणति विरहिणीओ दिणाई करपिहियसवणजुयलाओ। परहुयताररवारसियसवणमुच्छागमभएणं ॥ १३॥ जुम्मं । रेहति जत्थ चंपयतरुणी नवकुसुमनियरसेहरिया । आरूढमयणजलणव्व पहियनिवहाण दहणत्थं ॥ १४ ॥ खरपवशुद्धयमयरंदपिंजरं पेच्छिऊण रविविंवं । मज्झहेऽवि हु संझं संकंति रहंगमिहुणाई ॥ १५ ॥ जत्थऽकूखमयणदमणा तरुणो मुणिणो य सुमणसोवेया । सुहलवलीलालसिया भुयगीओ विलासिणीओ य ॥ १६ ॥ तत्थ एवंविहंमि उज्जाणे सो विस्सभूई कुमारो पवरतरुणीजणसमेओ अणिमिसाए दिट्ठीए पेच्छमाणो वणलच्छि कोऊहलाउलियपरियणदेसिज्जमानमग्गो काणणंतरेसु परिब्भममाणो सायरं पसीयह कुमार ! पेच्छह इओ मंजरिज्जर सहयारावली इओ फुलंति मलियाओ इओ पल्लविजंति बालकंकिल्लिणो इओ कोरइजंति कुरुवयनि| उरुंबा इओ कुसुमिज्जंति कणियारनियरा इओ मउरिजंति पुन्नागाइसाहिणोत्ति, एवं उज्जाणपालेण निदंसिजमाणतरुगणो वणकीलाए दिणाई गमेइत्ति | अंतरा य सुणेइ राइनी ईसत्थाई विमरिसेइ गूढत्थपयाई अभिणयावेइ वि 1 ational For Private & Personal Use Only ainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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