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________________ श्रीमहा० चरित्रे २ प्रस्तावः ॥ १९ ॥ Jain Education ईनक्खत्तमुवागए चंदे पुण्हसमयंमि सुसमदू समाए एगूणन उड़पक्खेसु सेसेसु कयचउदसमतवोकम्मो दसहिँ मुणिसहस्सेहिं सद्धिं परिचत्तचउविहारो कयपाओवगमणो पजंकासणसंठिओ वेयणियाउयनामगोयकम्माणं अंतं करिता सिवमय लमणुत्तरं पत्तोत्ति । अह बत्तीसंपि सुरिंदा दुस्सहदुक्खविद्दुरेण भरहनरिंदेण समेया बाहप्पव्वाहाउललोयणजुयला पणमिऊण भगवंतं नंदणवणाओ सरसगोसीसकसणागरुपमुहसोक्खकट्ठाई आणाविंति । तओ - पुव्वेण जिणस्स कए बट्टायारं चियं रयाविंति । दक्खिणदिसाऍ तंसं इक्खागुकुलुब्भवनिमित्तं ॥ १४६ ॥ अवरेण उ चउरंसं वित्थरवंतं विसिट्टकट्ठेहिं । अवसेसाण मुणीणं सरीरसकारकज्जेणं ॥ १४७ ॥ ता खीरोदय (जल) हवणसुइसुरहिचंदणविलित्तं । आरोवेंति सरीरं चियाऍ सक्का जिनिंदस्स ॥ १४८ ॥ भवणवइपमुहदेवा हवियविलित्ताइं सेससाहूणं । आरोवेंति दुहत्ता देहाई नियनियचियासु ॥ १४९ ॥ तत्तो अग्गिकुमारा जहकमं तासु सक्कवयणेणं । वयणेहिं निराणंदा मुयंति जालाउलं जलणं ॥ १५० ॥ एवं सरीरसक्कारमायरेणं सुरेसरा काउं । नियनियठाणेसु गया विच्छायमुहा विगयसोहा ॥ १५१ ॥ भरनरिंदो पुण महासोगाभिभूओ सगिहमागओ, तत्थ य दढवजपडणाइरित्तसोगसंभारजजरियसरीरो मन्नुपूरियगलसरणी संकंदणपोकमुक्कारा (वा) णुसाररोयणारावविहियसोगपमोक्खो अट्ठावयसेलसिहरंमि सङ्घरयणमयं महंतं For Private & Personal Use Only आदि० निवाण. ॥ १९ ॥ nelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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