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________________ 548 श्रीगणचंद निलीणाए धावीए परियरिओ, अन्नाहि य पवररमणीहि धरियधवलायवत्तो चलंतससिकंतचामरावययो दिटिपह-है। जमालेमहावीरच० |पइटावियमणिमयअट्टमंगलओ करितुरयरहवरारुढसयणवग्गेण अणुगमिजंतो वजंताउज्जसमुच्छलंतरवभरियनह दीक्षा. ८ प्रस्तावः विवरो पासायतलट्ठियपउरलोयनिवहेण संथुणिजंतो झडत्ति जमालिकुमारो तयणु पयहो जिणाभिमुहं । ॥२६५॥ है। अह जमालिस्स भारिया पियदंसणा तहाविहवइयरमुवलब्भ जायभववेरग्गा पवजं पडिवजिउकामा तहेव | पट्ठिया, कमेण य पत्ताई ताइं जिणंतियं, तओ पंचरायसुयसयपरिवारो जमालिकुमारो पडिबन्नो जिणिददेसियं |समणधम्म, पियदंसणावि नरिंदंदुहिया सहस्सेण परिवुडा पवड्डमाणसंवेगा समणी जायत्ति ।। | अह जमाली सामाइयमाइयाई एकारस अंगाई ससुत्ताई सअत्थाई अहिजइ, बहुहिं चउत्थछट्ठट्ठमपमुहेहिं अण-13 वरयं विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावितो भगवया सद्धिं पुरागराइसु विहरइ, पियदंसणावि चंदणाए पवतिणीए समं परियडइ। __ अह अन्नया कयाई जमाली भयवंतं महावीरजिणवरं वंदित्ता विनविउमारद्धो-भयवं! बंछामि अहं तुब्भहिं अन्भणुनाओ समाणो अनिययविहारहिं पंचहि समणसएहिं सद्धि विहरिउंति, सामीवि विमलकेवलालोयावलो ॥२६५॥ इयसयलजियलोयभूयभाविवट्टमाणकालकलावलंबिसुहासुहपरिगामविसेसो भाविरमणत्थं मुणिऊण जमालिस्स पुणो| पुणो भणमाणस्सवि मोणमवलंबिऊण जाविउं पवत्तो, जमालीऽवि अप्पडिसिद्धमणुमयंति कलिऊण पंचहिं समण HOROSZOROSAS Jain Educatio n al For Private Personel Use Only M ainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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