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________________ Jain Educatio करपुरिसपरिखित्तो पवररहनिसन्नो गओ समोसरणं, दूराओ चिय ओयरिओ रहाओ, परमायरेण वंदिओ जिणो, तओ अणिमिसाए दिट्ठीए सामिमुहमवलोयमाणो पज्जुवासि मारद्धो । भगवयाधि पयट्टाविया धम्मदेसणा । कहं चिय ? - करयलपरिगलियजलं व गलइ पइसमयमेव जीयमिमं । वाहिजरायंकाचिय देहं दूति निश्चपि ॥ १ ॥ अबहुकलेससमुवजियावि विज्जुव चंचला लच्छी । पियपुत्तसयणजोगोऽवि भंगुरो जलतरंगो ॥ २ ॥ विपवासा पिसाव दुन्निग्गहा तह कर्हपि । वामोहर जह थेवंपि नेव संभवइ वेरग्गं ॥ ३ ॥ अवरावर गिवावारविरयणावाउलो सयावि जगो । कीणासमुहं वचइ अणुवज्जियधम्मपाहिजो ॥ ४॥ सो चियमुद्धजणस्स विग्भमो सवहाऽविय अजुत्तो । जं पजंते धम्मं भोत्तुं भोगे चरिस्तामो ॥ ५ ॥ 'थेरते पत्ते हयंमि सबिंदियप्पयारंभि । अच्छउ दूरे करणं दुलहं धम्मस्स सवर्णपि ॥ ६ ॥ किं बहुणा भणिएणं ?, जो वालत्तेऽवि नायरइ धम्मं । संगामसमयहयसिक्ख गोब सो सोअइ विरामे ॥ ७ ॥ इय जयगुरुणा नीसेससत्तसाहारणाए वाणीए । मोक्षसुहमूलबीयं कहियं सद्धम्मसमं ॥ ८ ॥ इमं च अवक्खित्तचित्तो सवणंजलीहिं पाऊण जमालिकुमारो हिययंतो समुल्लसंतवेरग्गवासणो भयवंतं पणि| वइऊण भालयलनिश्चलनिवेसियपाणिपंकयकोसं भणिउं पवत्तो ational For Private & Personal Use Only jainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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