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________________ शोका, श्रीगुणचंद हैं। निहित्तेक्कचलणा बीयचलणलंघियघरदुवारदेसा पडिनियत्तेसु सयलभिक्खायरेसु सुप्पेण कुम्मासे पणामेइ ता कोशाम्ब्या महावीरच० परमहं पारेमित्ति कयनिच्छओ पुरजणेण अणुवलक्खिज्जमाणाभिग्गहविसेसो बावीसपरीसहसहणट्टाए असंपज्जत श्रीवीरा. ७प्रस्तावः जहिट्ठियभोयणोऽवि पइदिवसं उच्चावएस मंदिरेस पयत्तो परिभमि जयगुरू । पुरजणोऽवि भयवंतं अगहियाभ भिग्रहः राज्यादि ॥२४१॥ क्खं अणुदिणं गेहंगणाओ चेव नियत्तमाणं पेच्छिऊण अचंतसोगसंभारतरलियमाणसो किंकायचयावामूढो चिति उमारद्धो, कहं?किं दुहनिबंधणेणं धणेण ? किं तेण मणुयभावेण ? । भोगोवभोगलीलाए ताए किं वा दुहफलाए? ॥१॥ जइ एवंविहमुणिपुंगवस्स गेहंगणं उवगयस्स । पाणन्नपयाणवि उवयारे नेव वट्टामो ॥२॥ जुम्मं ॥ कह वा कम्मजलाउलमणेगदुहमयरभीसणावत्तं । संसारसायरमिमं दाणेण विणा तरिस्सामो? ॥३॥ अहवा धन्नाण गिहे पविसइ एवंविहं सुमुणिरयणं । भिक्खापरिग्गहेण य अइधन्नाणं जणइ हरिस ॥४॥ जइ एक चिय वेलं कहमवि पडिलाभिओ हवइ एसो। ता पाणिपल्लवे संवसंति सुरमोक्खसोक्खाई॥५॥ इय जह जह जिणनाहो भूरिपयारेहिं दिजमाणंपि । भिक्खं नो अभिकंखइ तह तह खिजइ पुरीलोगो ॥ ६॥1॥२४१॥ एवं च चत्तारि मासे कोसंवीए हिंडमाणो भयवं अन्नया पविट्ठो सुगुत्तमंतिणो भवणं, दूराओ चिय दिट्ठो सुन-18 दाए, पचभिन्नाओ य जहा सो एस भयवं महावीरसामित्ति, तओ अणाइक्खणिजं पमोयपन्भारमुबहती उडिया Jain Education a l For Private Personel Use Only urainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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