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________________ श्रीगुणचंद महावीरच ० ७ प्रस्तावः ॥ २२५ ॥ Jain Education बाहिंमि कयपारणगो साणुलद्धियनामंमि य गामे वचइ । तत्थ य भद्दं पडिमं ठाइ, तहिं च अणसिओ पढमं पुवाभिमुह एगपोग्गलणिसियदिट्ठी दिवसम से समच्छिऊण रयणिमि दाहिणाभिमुद्दो ठाइ, तओ अवरेण दिवस उत्तरेण रत्तिं, एवं छट्टतवोकम्मेण इमं भद्दपडिमं सम्ममणुपालिऊण सामी अपारिडं चैव महाभई ठाई, तीए य पुवाए दिसाए अहोरतं, एवं चउसुविदिसासु चत्तारि अहोरत्ताई, पलंबियभुयपरिहो उस्सग्गेण ठाऊण दसमेण इमं समत्थेइ । पुणो अकयपारणगो सबओभदं पडिममुवसंपज्जर, एईएवि पुवाइयासु तमापज्जवसाणासु दससुवि दिसासु उस्सग्गेण अच्छा, नवरं उढदिसाए जाई उड्डलोइयाणि दत्राणि ताणि झायइ, अहोदिसाएवि हिट्ठिल्लाणित्ति । एवं एयं बावीसइमेण पजंतमुवाणेइ । समत्थियासु य इमासु तिसुवि पडिमासु दढं परिसंतो भयवं, जाए य पारणगसमए पविट्ठो आणंदगाहावइस्स गेहे, तबेलं च बहुलियाभिहाणाए दासीए भंडयाणि खणीकरंतीए दिट्ठो जयगुरू, अह तप्पएसं संपत्तस्स तइलोकदिवायरस्स वासियभत्तं पणामियमणाए, सामिणाऽवि असंभंतेण जोग्गंति कलिऊण पसारियं सभावसोणिमासुभगं पाणिसंपुढं, परमसद्धाविसेसमुहंतीए दिन्नमेयाए, एत्थंतरे दुकरतव चरणपजवसाणजायजिणपारणयपहियहियएहिं सुरासुरकिन्नरनिवहेहिं पूरियमंत्ररतलं, मुक्का य पंचराय कुसुमसमूहसणाहा अद्धतेरस - कोडिमेत्ता कणयवुट्टी, ताडियाई चउविहतूराई, जाओ य जणाण परितोसो, सा य बहुलिया दासी महाविया नरवइछत्तच्छायाए, अवणीयं से दासित्तणं । tional For Private & Personal Use Only ऋतुपट्टे नानभिभवः भद्रादिप्रतिमाः, ।। २२५ ॥ ainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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