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________________ श्रीगुणचंद दिट्ठो य सो रुक्खच्छायाए पडिपुन्नसबंगोवंगो सस्सिरीओ अक्खयसरीरो बालओ, गहिओ य तेणं, पणामिओ। तिलस्तम्बः महावीरच. नियभजाए, भणिया य एसा-पिए! एस तुह अपुत्ताए पुत्तो होही, सम्म रक्खिजाहि, गोसे य पगासियं जहा मम वैश्यायना६प्रस्ताव: धिकार महिला गूढगन्मा आसि, सा य संपयं पसूया, दारगो से जाओ, एयस्स चेव अत्थस्स निच्छयनिमित्तं छगलकं वा॥२१९॥ | वाइत्ता लोहियगंधो कओ, सा य सूइयनेवत्येण ठाविया, बद्धावणयं च विहियं, सम्माणिओ सयणवग्गो, पसारिया लोयम्मि वत्ता, निवत्तियाई छट्ठीजागरणचंदसूरदंसणियमुहाइं किच्चाई, समुचियसमए ठवियं वेसियायणोत्ति नाम, PIकालकमेण य पत्तो जुवणं, सावि से जणणी चंपाए नयरीए नेऊण चोरोहिं विकनिमित्तं ओड्डिया रायमग्गे, सुरू४ वत्तिकाऊण गहिया थेरीए वेसाए, सिक्खाविया गणियाण वेजं । अविय सुरविलयब्भहियविसिट्टरूवसोहग्गपवरलायन्ना। सुरयप्पवंचकुसला वियक्खणा गेयनहेसु ॥१॥ __उवयारभणियपरिचत्तबोहसमयाणुरूवचेट्ठासु । पत्तट्ठा सा जाया लद्धपसिद्धी य नयरीए ॥२॥ दसणमेत्तेणं चिय जणस्स पुर्व जणेइ विक्खेवं । किं पुण उब्भडसिंगारसारनेवत्थरुइरा सा ? ॥३॥ इओ य सो वेसियायणो अत्थोवजणनिमित्तं करेइ विविहवाणिजाई, अन्नया य घयस्स सगळि भरिऊण वयं-12॥२१९॥ सएहिं समेओ गओ चंपानयरिं, तम्मि य समए समारद्धो पुरे महूसवो, पवराभरणरुइरदेहा नियंसियपहाणपट्टणु|ग्गयचीरंसुयाइवत्था जहिच्छं तियचउक्कचच्चरेसु रामाजणेण परिगया विलसंति नायरा, ते य दट्टण चिंतियमणेण-द SARALA Jain Educationkofinal For Private & Personel Use Only Enelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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