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________________ 5 श्रीगुणचंद ६ दलीलाए आगच्छमाणो, दह्ण य साहियं चोरवइणो, जहा-एगो नग्गसमणो एइ, तेण भणियं-न हरियवमस्थिति गोशालय महावीरच० दाएस न भाइ, अन्नहा कहं एत्थ अमाणुसाए अडवीए पविसेज्जा?, अहवा एस कोइ दुरायारो अम्हाणं एवंविह-16 पृथग्भवनं ६प्रस्ताव: रूवपडिवण्णो मण्णे परिभवं उप्पाएइ, ता एउ अक्खलियगईए जेण अवणेमो से दुविणयं, एवं च जंपंताणं चौरोप सगेश्व ॥१९७॥15 समीवमागओ गोसालो, तओ तेहिं दूराओ चिय साहिलासं-एहि माउलग! सागयं तुहत्ति भणिऊण गहिओ 31 करेण, उड्डाविओ पटुिं, मरणभयविहुरेण य उडिया अणेणं, तओ चोराहिवइणा पंचसयचोरसमेएण आरुहिऊण 4 जहक्कम वाहिओ सुचिरवेलं, छुहातण्हापरिस्समभिहओ जया कट्टगयजीओ जाओ ताहे मोत्तूण जहाभिमयं| गया तक्करा, गोसालोऽवि बाढं सुट्टियसरीरो मोग्गरपहारजजरिउच्च कुलिसताडिउच्च विगयचेयण्णो तरुसंडछायाए ६ मुहुत्तमेत्तं विगमिऊण सिसिरमारुएण उवलद्धचेयणो सोगं करेउमारद्धो, कहं ? हा दुट्ठ दुहु विहियं हियत्थिणा नहबुद्धिणा उ मए । जं सो सामी मुक्को अचिंतमाहप्पपडिहत्यो ॥१॥ निहोसंमिवि नाहे कुवियप्पेहिं मए हयासेण । जाकिर कया अवण्णा सा संपइ निवडिया सीसे ॥२॥ ॥१९७॥ तस्स पभावेण पुरा अणेगठाणेसु दुट्ठसीलोऽवि । निबूढोऽहं संपइ तविरहे नत्थि मे जीयं ॥३॥ अहवा-सहसच्चिय सम्ममचिंतिऊण कीरति जाई कजाई। अप्पत्थभोयणं पिव ताई विरामे दुहावेंति ॥४॥ मण्णे इमिणच्चिय कइयवेण मं छलिउमिच्छइ कयंतो। कहमन्नहा कुबुद्धी हवेज एयारिसी मज्झ? ॥५॥ BESCHERMOSTACROSS30406 Jain Education KASinelibrary.org a For Private Personal Use Only l
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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