SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 412
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीगुणचंद महावीरच ० ६ प्रस्तावः ॥ १९६ ॥ Jain Education संठिया, पच्छा आरक्खियपुत्त्रेण इओ तओ परिभमंतेण चोरोत्ति कलिऊण महलभल्लएण आहया, तचेलं चिय | समुप्पण्णोहिनाणा मरिडं दिवमुवगया, अहा सन्निहियदेवनिवहेहि य तेसिं महिमं कीरमाणि पासित्ता तं पएसं गओ गोसालो, दिट्ठा य कालगया थेरा, तओ सुहृपसुत्ता पडिस्सए गंतूण पडिवोहिया तेर्सि सिस्सा, निमच्छि ऊण साहिओ थेरमरणवइयरो, गओ य सट्टाणं, जयगुरूवि कुवियसन्निवेसमेइ, तत्थवि चारियत्तिकाऊण गहिओ दंडवासिएहिं, बंधणताडणपमुह कयत्थणाहिं पीडिउमारद्धो य । अह जिणना तेहिं वहिजमाणे जणे समुल्लावो । जाओ जह देवज्जो अप्पडिमो रूवलच्छी ॥ १ ॥ कह चारिओत्ति गहिओ किं सोऽवि करेज एरिसं कम्मं । अहवा विचित्तरूवा कम्मगई किं न संभवइ ? ॥ २ ॥ तहविहु इमं सुणिजइ जत्थागिति तत्थ निवसइ गुणोहो । ता नूण मूढयाए एए एयं कयत्थंति ॥ ३ ॥ aritarian साहू विरूवमत्थमायरइ । जो वत्थंपि न वंछइ स चारियत्तं कहं काही ? ॥ ४ ॥ इय लोयपवायं निसुणिऊण विजया तहा पगब्भा य । पासजिणसिस्सिणीओ तक्कालविमुक्कदिक्खाओ ॥ ५ ॥ निवात्थं परिवाइयाए बेसं समुहंतीओ । मा वीरजिणो होहित्ति संसएणाउलमणाउ ॥ ६ ॥ गच्छति तहिं दद्रूण जिणवरं आयरेण वंदंति । पच्छाऽऽरक्खिगपुरिसे तज्जंति सुनिहुरगिराए ॥ ७ ॥ रे रे किं न हयासा ! सिद्धत्थनरिंदनंदणं एयं । धम्मवरचक्कपट्टि मुंचह ? सिग्धं च खामेह ॥ ८ ॥ For Private & Personal Use Only वधोद्यतचौरघातः जंबूखंडे नन्दिषेणाः कूपिकासंनिवेशे ग्रहः ॥ १९६ ॥ inelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy