SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 398
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीगुणचंद महावीरच० ६ प्रस्तावः ॥ १८९ ॥ Jain Educatio सिं मिहो कहुलावसवणसंवड्डमाणपरितोसो | कहकहकहत्ति पहसइ गोसालो अह पिसाओ ॥ १० ॥ सोचा पहसियस खंदी कोवेण जट्टिमुट्ठीहिं । हणिऊण तं विमुंचइ ताहे सो एइ जिणमूले ॥ ११ ॥ भइ य सोवालंभं नायगधम्मो किमेस संभवइ ? | पेच्छंताणवि तुम्हें जं एवमहं हणिजामि ॥ १२ ॥ रक्खाकरण तुम्भे ओलग्गिज्जइ सया पयतेणं । जइ पुण सावि न विज्जर निरत्थिया ता धुवं सेवा ॥ १३ ॥ अजवि सद्दोसाणवि पहुणो नियसेवगाण परिताणं । सङ्घायरेण कुवंति किं पुणो नीइनिश्याणं ? ॥ १४ ॥ सिद्धत्येणं भणियं केत्तियमित्तो इमो विणिग्धाओ ? । अज्जवि मुहस्स दोसेण नत्थि तं जं न पाविहिसि ॥ १५ ॥ तओ सामी कुमारसंनिवेस गओ, तत्थ य चंपगरमणिजाभिहाणे उज्जाणे पलंबियभुओ ठिओ काउस्सग्गेण, तहिं |च सन्निवेसे अपरिमियधणधन्न समिद्धो अचंतसुरापाणप्पिओ कुवणयनाम कुंभकारो परिवसर, तस्स आवर्णमि पासजिणसिस्सा ससमय परस मयत्थपरिन्नाणनिउणा भवोयहि निवडतपाणिगणसमुद्धरणसमत्था छत्तीसगुणरयणनिहिणो |जहोवइट्ठपगिट्ठजइकिरियापरूवणापरायणा अणेगदे संतरागयविणेय भमरलिहिज्ज माणसुयमयरंदा मुणिचंदा नाम सूरिणो निवसंति, ते य वाढं वुहुभावसुवगया एवं विचिंतंति tional जिणपणीओ धम्मो सवत्थ वित्थरं नीओ । मिच्छत्तवसपत्ता सत्ता पडिवोहिया बहुसो ॥ १ ॥ सुत्थेहिं सिस्सा संपइ निष्फाइया जहासत्तिं । परिवालिओ चिरं तह सवालबुड्डाउलो गच्छो ॥ २ ॥ For Private & Personal Use Only पत्रालक गमः कुमारसंनिवेशेमुनिचन्द्राः ॥ १८९ ॥ ainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy