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बुडिमहमुवागओ, अओ मए एयस्स वद्धमाणोत्ति नामधेयं कायवंति, तम्हा इयाणिपि तुम्ह समक्खं एयमेव नामं हवउत्ति, तेहिं भणियं देव ! जुत्तमेयं, गुणनिफन्ननामधेज्जे विजमाणंमि कीस न जहट्ठियमभिहाणं कीरइत्ति १, एवं तेहिं जंपिए पट्ठियं जयगुरुणो वद्धमाणोत्ति नामं, जाओ परमप्पमोओ, पुरंदरेणावि अयलो भयभेवोवसग्गेहिं खंतिख मो य इतिकाऊण वरं महावीरोत्ति नामधेयं से कयंति, इय निवत्तियाभिहाणो सुरसंकामियका मियपवररसाए निययंगुलीए पाणेण कयभोयणकायचो जयगुरू पंचाहिँ धावीहिं परियरिओ अंतेउरीजणेण सायरं चेव ला - लिज्जमाणो अम्मापियरेहिं बहुप्पयारं चरणचंकमणं काराविजमाणो चेडचडयरेणं पइक्खण मुलाविज्जमाणो सायरं | देवदेवीविंदेण पज्जुवासिज्जमाणो निरंतरं गीएहिं गिजमाणो पाढेहिं पढिजमाणो चित्तेहिं उवलिहिज्रमाणो दंसणू| सुएहि लोएहिं अहमहमिगाए पलोएजमाणो गिरिकंदरगउच कप्पपायवो वहिउमारद्धोत्ति कमेण य पडिपुन्नसरीरावयवो ताविच्छगुच्छ सच्छह परूढ सिणिद्धमुद्धरुह सिहंडो विसुद्धपबुद्धबुद्धिपगरि सागिट्ठलट्ठ भासा विसेसविसारओ पडिपुन्नस्यसायरपारगामी ओहिन्नाणमुणियच क्खुगोयराइकं तवत्थु वित्थारो अतुच्छ सुइनेवत्थधरो सयललोयलोयणाणंदजणणं देसूणट्टवरिसपजायं कुमारत्तणमणुपत्तो समाणो भयवं बालभावसुलहत्तणओ कीडारईए अणेगेहिं समवएहिं मंतिसामंत सेद्विसेणावइसुएहिं खेड्डविहिवियक्खणेहिं समं पारद्धो रुक्खखेड्डेण अभिरमिउं, तत्थ य एसा ववत्था - जो रुक्खेलु सिग्धं आरुहइ उत्तरइ य सो सेसाई डिंभाई पट्ठीए आरुहिऊण वाहेद, इओ य सोहम्मे
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