SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 249
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -CROCOCCA अह भयवं एवंविहवइयरमुवलक्खिऊण नाणेण । अंग अंगावयवं चालइ जणणीसुहट्ठाए ॥ ११ ॥ ताहे तुट्टा देवी हरिसवसुल्लसिरलोयणकवोला। जायं झडत्ति भवणंपि राइणो पमुइयजणोहं ॥ १२॥ तत्तो भयवं चिंतइ गन्भुन्भवमेतओऽवि कह जाओ। जणणीजणगाणमहो पडिबंधो कोऽवि अइगरुओ?॥१३॥ जं गभनिप्पकंपमेत्तेणवि एरिसा विसमरूवा । नियसंवेयणगम्मा एएसि दसा समावडिया ॥ १४ ॥ जइ पुण जीवंतेसुवि समणत्तणमहमहो पवजिस्सं । तो मम विरहेण धुवं एए जीयं चइस्संति ॥१५॥ इय चिंतिऊण भयवं संतोसटुं सजणणिजणगाणं । इयरजणाणवि एवं ठिई व लटुं पइटुंतो ॥ १६ ॥ जीवंतेसुं अम्मापिईसु नाहं मुणी भविस्सामि । इय गभगओऽवि जिणो पडिबजइ नियममइगरुयं ॥ १७ ॥ अह सा तिसलादेवी गम्भफुरणसंपत्तपरमपमोया व्हाया नियंसियमहग्यचीणंसुया सरसचंदणकयंगराया आवि-12 द्धपवररयणा तं गम्भं नाइउण्हेहिं नाइसीएहिं नाइतित्तेहिं नाइकडएहिं नाइकसाएहिं नाइअंबिलेहिं नाइमहुरेहि सबोउयसुहावहेहिं भोयणेहिं परिवालयंती पूरियडोहला निब्भया पसंता सुहेण भवणतलसमारूढा कयाइ पवर-18 नाडयपेच्छणेण कयाइ पुराणपुरिसचरियायन्त्रण कयाइ विचित्तकोऊहलावलोयणेण कयाइ सहीजणपरिहासकर. ण कयाइ उजाणविहारविणोएण कयाइ दुक्खियजणतवणिजपुंजवियरणेणं कयाइ नयरसोहानिरिक्खणेण कयाइ | बंधुजणसम्माणणेणं कयाइ धम्मसंबद्धकहावियारणेण दिगाई गमेइत्ति। R RORXONROSS २० महा० Jain Education a l For Private & Personel Use Only Mainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy