SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जयवर्धने श्रीगुणचंद महावीरच. ४ प्रस्ताव ॥१०१॥ SLISASSASSESSEISESS*** अह गलगजिं घणघोसविब्भमं कुंजरेण काऊण । नियपट्ठीए ठविओ झत्ति कुमारो करग्गेण ॥३॥ हयहेसियं च जायं जयतूररवो वियंभिओ सहसा । सामंतमंतिलोएण परिवुडो तो गओ नयरं ॥४॥ नरविक्रमो नृपः जाओ पुरे पमोओ अपणयपुवावि पत्थिवा पणया । नरविक्कमेण रजं अत्तायत्तं कयं सवं ॥५॥ नरसिंघनिविसेसा जाया करितुरयरयणभंडारा । सक्कोच देवलोए विलसइ सो विविहकीलाहिं ॥६॥ केवलमेक्को चिय फुरइ तस्स हिययंमि नट्ठसलं व । दइयासुयदीहरविरहवइयरो दुस्सहो अणिसं ॥७॥ अन्नया जयवद्धणनयरासन्नुजाणे अणेगसीसपरिवुडो सीहोब दुद्धरिसो सूरोब निहियतमपसरो चंदोव सोम-18 सरीरो मंदरो इव थिरो जचकणगंव परिक्खखमो दुरविवजियराओवि अणंतराओ धरियपयडजमवओवि नीसेससत्तरक्खणबद्धलक्खो समिइवावारियमणपसरोऽवि सया पसंतचित्तो छत्तीसगुणमहामणिरोहणभूमिव धीनिहाणं व पचक्खधम्मरासिब भुवणभवणेक्कदीवोव सिवपंथसत्यवाहोव कम्मतरुनियरहववाहोच दढजायदप्पकंदप्पसप्पसन्नागदमणिव ससमयपरसमयजलप्पवाहसिंधुब लोयचक्खुब नियनियविसंठुलकरणकुरंगे ॥१०१॥ कपासोच मिच्छत्तजलाउलभवसमुद्दनिवडंतजंतुबोहित्थो पंचविहायारमहाभरेकनित्थारणसमत्थो जइधम्मे असमत्थे सावयधम्ममि संठवमाणो इयरे पुण जइधम्मे सिद्धंतपसिद्धनाएणं अपुवापुवजिणभवणाई वंदमाणो गामाणुगाम विहरतो आगंतूण समंतभद्दाभिहाणो सूरी समोसरिओत्ति, जाया नयरे पसिद्धी, जहा असेसगुणगणावासो सूरी Jain Educat onal For Private & Personel Use Only Mainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy