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________________ Jain Educat ओ वेयणीयकम्मस्स गिरिसिरवरिसणवस विसप्पमाणसलिलप्पवाहेण पूरिया तक्खणेण नई, जाया अगाहा, खलिओ पयप्पयारो पवाहिओ तरुपल्लववारिपूरेण नरविकमकुमारो नीओ दूरप्पएसं, अह कहवि कुसलकम्मवसओ पावियमणेण फलगं, तंनिस्साए अवयरिओ तीरे तीए, नुवन्नो तरुवरच्छायाए, चिंतिउं पवत्तो कह नियtयरथाओ ? कत्थ वासो ? कहिं गया भज्जा ? । कह पुत्तेहि विओगो ? कह वा नइवेगवहणं च १ ॥ १ ॥ खरपचणाहयजरतिणनियरो विव देवया दिसिवलिव । एकपए चिय कह मज्झ परियरो विसरिओ झत्ति १ ॥ २ ॥ हे ! तुझ पणओ एसोऽहं खिवसु सचदुक्खाई । मज्झं सयणजणाओ जेणऽन्नजणो सुहं वसइ ॥ ३॥ एत्थंतरे पच्चासन्नजयवद्धणनयराहिवई कित्तित्वम्मनामो नरवई अनिवत्तगसूलवेयणाए अपुत्तो सहसा पंचत्तमुवगओ, तओ मिलिआ मंतिसामंताइणो लोया, कओ पंचदिवाभिसेओ, रज्जारिहं च पुरिसं सवत्थ मग्गिउं पवत्ता, खाणंतरेण नयर अंतरे रज्जारिहमपेच्छंताणि वाहिँ अवलोयणट्ठा निग्गयाणि पंच दिवाणि, गंतुं पयट्टाणि य तमुद्देसं जत्थ सो चिंताउरो नरविक्रमकुमारो निवसर, अह तदग्गगामिनं पचंडमुंडादंदुड्डामरं वेगेण पवरकुंजरमिन्तं 'दहूण विग प्पियं एवं कुमारेण मन्ने पुचभत्थं इयाणि दइवो समीहए काउं । कहमन्नहेह हत्थी दूरुलालियकरो एजा ? ॥ १ ॥ अहवा एउ इमो लहु कुणउ य मणवंधियं जहा मज्झं । समुयदइयविरहपमोक्खदुक्खवोच्छेयणं होइ ॥ २ ॥ ational For Private & Personal Use Only jainelibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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