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________________ मेघमुखोप श्रीगुणचंद महावीरच० ३ प्रस्तावः द्रवः उत्तर| खंडजया ॥६७॥ नवि से छुहा न वाही नेव भयं नेव विजए दुक्खं । विजयाहिवस्स रण्णो खंधावारस्सवि तहेव ॥१॥ अह पियमित्तनरिंदो संपत्ते सत्तरत्तपजते । चिंतेइ को णु एसो जो मं विद्दयइ सलिलेणं १ ॥२॥ एत्यंतरंमि आबद्धपरियरा विविहपहरणसमेया। सोलस जक्खसहस्सा मेहमुहाणं गया पासे ॥३॥ भणिया य तेहिं रे रे अप्पत्थियपत्थिया धुवं तुम्हे । जं चक्कवट्टिणोऽविहु उवसग्गं एवमायरह ॥ ४ ॥ ता मुंचह चक्खुपहं अहवा जुद्धत्थमभिमुहा होह । इइ भणिए मेहमुहा गया चिलायाण पासंमि ॥५॥ साहति सघवइयरमसमत्थत्तं च अत्तसत्तीए । नरवइसेवाकजे पेसेंति य ते चिलाएऽवि ॥६॥ अह मुक्ककेसहत्था पहरणरहिया नियंसिओल्लपडा । भयवसविसंठुलंगा गंतूण नमंति ते मेच्छा ॥७॥ कणगं विचित्तरयणे अन्नंपि विसिट्टवत्थुमप्पिंति । पडिवजिय तस्सेवं नियावराहं च खामेंति ॥ ८॥ एवं च पवजियसेवा मिलेच्छा सम्माणिऊण चक्किणा विसजिया सट्ठाणेसु, सेणावईवि सिंधुमहानईए बीअखंडसाहणत्थं पेसिओ पुषविहीए, तं च साहिऊण पच्छाऽऽगए तंमि पियमित्तो राया चकाणुमग्गेण पट्टिओ वेयड्डाभिमुहं, कमेण य पत्तो पचयनियंबदेसं । तओ मणसीकरेइ उत्तरदाहिणसेढिविजाहरे, तेऽविय भयखुभियचित्ता नाणाविहकणगरयणपमुहपहाणवत्थुसमप्पणपुत्वयं नरवइणो सिरसा सासणं पडिच्छंति । सेणावईऽवि पुवकमेण गंगामहानईपवखंडं साहिऊण पासमल्लियइ॥ Jan Education For Private Personal Use Only helibrary.org
SR No.600114
Book TitleMahavir Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandra
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages704
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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