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________________ संजमघा १ उप्पाये २ सादिधे ३ वुग्गहे य ४ सारीरे ५ । महिया १ सच्चित्तरओ २ वासम्मि य ३ संजमे तिविहं ६||॥५०॥ महिया उ गम्भमासे सच्चित्तरओ य ईसिआयवे । वासे तिन्नि पगारा बुब्बुय तवज फुसिए य ॥५१॥ दवे है तं चिय दवं खेत्ते जहियं तु जच्चिरं कालं । ठाणाइभास भावे मोत्तुं उस्सासउम्मेसे ॥५२॥ पंसू य मंसरुहिरे केससि लावुद्धि तह रयुग्घाए । मंसरुहिर अहरत्तं अवसेसे जच्चिरं सुत्तं ॥ ५३ ॥ पंसू अच्चित्तरओ रयस्सलाओ दिसा रउग्धाओ। तत्थ सवाए निवायए य सुत्तं परिहरंति ॥५४॥ गंधबदिसा विजुक्क गज्जिए जूव जक्खआलित्ते । एकेकपोरिसिं गजिय *तु दो पोरिसी हणइ ॥ ५५ ॥ दिसिदाहो छिन्नमूलो उक्क सरेहा पगाससंजुत्ता । संझाछेयावरणो उ जूघओ सुकि दिण हा तिन्नि ॥५६॥ चंदिमसूरुवरागे निग्घाए गुंजिए अहोरत्तं । संझाचउ पाडिवए जं जहि सुगिम्हए नियमा ॥५७॥ आसाढी ६ इंदमहो कत्तिय सुगिम्हए य बोद्धबे । एए महामहा खलु एएसिं जाव पाडिवया ॥ ५८॥ उक्कोसेण दुवालस चंदों जहनेण पोरिसी अट्ठ । सूरो जहन्न बारस पोरिसि उक्कोस दो अट्ठ ॥ ५९॥ सग्गहनिवुड एवं सूराई जेण हुंतिऽहोरत्ता । आइन्नं दिणमुक्के सोच्चिय दिवसो य राई य ॥६०॥ वुग्गहदंडियमाई संखोमे दंडिए व कालगए । अणरायए य सभए जच्चिरनिद्दोच्चऽहोरत्तं ॥ ६१॥ तदिवसभोइआइ अंतो सत्तण्ह जाव सज्झाओ । अणहस्स य हत्थसयं दिविविवित्तमि | सुद्धं तु ॥ ६२॥ मयहर पगए बहुपक्खिए य सत्तघर अंतर मयंमि । निहुक्खत्ति य गरिहा न पढंति सणियगं वावि ॥६३ ॥ तिरिपंचिंदिय दबे खेत्ते सविहत्थ पोग्गलाइन्नं । तिकुरत्थ महंतेगा नगरे बाहिं तु गामस्स ॥ ६४ ॥ काले तिपोरिसि अट्ठ व भावे सुत्तं तु नंदिमाईयं । सोणिय मंसं चम्मं अट्ठीवि य अहव चत्वारि ॥ ६५॥ अंतो बहिं व धोयं सट्ठी in Education Intematonal For Private Personel Use Only sww.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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