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________________ प्रवचन सूत्रे *** ॐ* वइणो ॥ २२ ॥ दुविहा विरयाविरया दुविहंतिविहाइणऽढहा हुँति । वयमेगेगं छबिहगुणियं दुगमिलिय बत्तीसं ॥ २३ ॥ २३१-३६ तिनि तिया तिन्नि दुया तिन्निक्केक्का य हुँति जोएसु । ति दु एक ति दु एक ति दु एकं चेव करणाइं ॥ २४ ॥ मणवय गुणस्थिकाइयजोगे करणे कारावणे अणुमईए । एक्कगद्गतिगजोगे सत्ता सत्तेव गुणवन्ना ॥ २५॥ पढमेको तिन्नि तिया त्यादीनि दोन्नि नवा तिन्नि दो नवा चेव । कालतिगेण य गुणिया सीयालं होइ भंगसयं ॥ २६॥ पंचाणुवयगुणियं सीयालसयं तु नवरि जाणाहि । सत्त सया पणतीसा सावयवयगहणकालंमि ॥ २७ ॥ सीयालं भंगसयं जस्स विसुद्धीऍ होइ उवलद्धं १३११-३६ सो खलु पच्चक्खाणे कुसलो सेसा अकुसला उ ॥ २८ ॥ दुविहतिविहाइ छच्चिह तेसिं भेया कमेणिमे हुँति । पढमेको दुन्नि तिया दुगेग दो छक्क इगवीसं॥ २९॥ एगवए छन्भंगा निहिट्ठा सावयाण जे सुत्ते । ते च्चिय पयवुड्डीए सत्तगुणा छज्जुयाल कमसो ॥ ३०॥ इगवीसं खलु भंगा निविट्ठा सावयाण जे सुत्ते । ते च्चिय बावीसगुणा इगवीसं पक्खिवेयवा ॥ ३१॥ एगवए नव भंगा निद्दिद्वा सावयाण जे सुत्ते । ते च्चिय दसगुण काउं नव पक्खेवंमि कायबा ॥ ३२॥ इगवन्नं खलु भंगा निद्दिट्ठा सावयाण जे सुत्ते । ते च्चिय पन्नासगुणा गुणवन्नं पक्खिवेयवा ॥ ३३ ॥ [ सीयालं भंगसयं वयवुढऽउया|लसयगुणं काउं। सीआलसण्णजुयं सबागं जाण भंगाणं ॥] एगाई एगुत्तरपत्तेयपयंमि उवरि पक्खेवो । एकेकहाणिअवसाणसंखया हुंति संयोगा ॥ ३४ ॥ अहवा पयाणि ठविउं अक्खे चित्तूण चारणं कुजा । एक्कगदुगाइजोगा भंगाणं संख कायबा ॥ ३५ ॥ बारस १ छावट्ठीवि य २ वीसहिया दो य ३ पंच नव चउरो ४ । दो नव सत्त य ५ चउ दोन्नि । ॥५१०॥ नव य ६ दो नव य सत्तेव ७॥ ३६ ॥ पण नव चउरो ८ वीसा य दोन्नि ९ छावट्ठि १० बारसे ११ को १२ य । साव-12 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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