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सिहि तशी पुरो अंतरसुतिर इमेण कालेण ॥ ३९ो समय ॥ ३९६ ॥ सीयलाभ।
संभवजिणो दसहि उ अभिनंदणो जिणवरिंदो । नवहि उ सुमइजिणिंदो उप्पण्णो कोडिलक्खेहिं ॥ ३९४ ॥ नउईइ सहस्सेहिं कोडीणं वोलियाण पउमाभो । नवहि सहस्सेहिं तओ सुपासनामो समुप्पण्णो ॥ ३९५ ॥ कोडिसएहिं नवहि उ जाओ चंदप्पहो जणाणंदो । नउईए कोडीहिं सुविहिजिणो देसिओ समए ॥ ३९६ ॥ सीयलजिणो महप्पा तत्तो कोडीहि नवहिं निद्दिट्ठो । कोडीए सेयंसो ऊणाइ इमेण कालेण ॥ ३९७ ॥ सागरसएण एगेण तह य छावद्विवरिसलक्खेहिं ।
छवीसाइ सहस्सेहिं तओ पुरो अंतरेसुत्ति ॥ ३९८ ॥ चउपण्णा अयरेहिं वसुपुजजिणो जगुत्तमो जाओ। विमलो विमसालगुणोहो तीसहि अयरेहि रयरहिओ॥३९९॥ नवहिं अयरेहिणतो चउहि उ धम्मो उ धम्मधुरधवलो । तिहि ऊणेहिं3
संती तिहि चउभागेहिं पलियस्स ॥४००॥ भागेहि दोहिं कुंथू पलियस्स अरो उ एगभागेणं । कोडिसहस्सोणेणं वासाण जिणेसरो भणिओ ॥ ४०१॥ मल्ली तिसल्लरहिओ जाओ वासाण कोडिसहसेण । चउपण्णवासलक्खेहिं सुबओ सुचओ
सिद्धो॥४०२॥ जाओ छहि नमिनाहो पंचहि लक्खेहिं जिणवरो नेमी । पासो अद्धट्ठमसय समहियतेसीइसहसेहिं +॥४०३ ॥ अड्डाइजसएहिं गएहिं वीरो जिणेसरो जाओ। दूसमअइदूसमाणं दोहंपि दुचत्तसहसेहिं ॥ ४०४ ॥ पुज्जइ
कोडाकोडी उसहजिणाओ इमेण कालेण । भणियं अंतरदारं एवं समयाणुसारेणं ॥ ४०५ ॥ बत्तीसं घरयाई काउं
तिरियाअयाहि रेहाहिं । उड्डाअयाहिं काउं पंच घराई तओ पढमे ॥ ४०६ ॥ पन्नरस जिण निरंतर सुन्नदुर्ग तिजिण 16 सुन्नतियगं च । दो जिण सुन्न जिणिंदो सुन्न जिणो सुन्न दोन्नि जिणा ॥ ४०७ ॥ बिईयपंतिठवणा-दो चक्कि सुन्नत
तेरस पण चक्की सुण्ण चक्कि दो सुण्णा । चक्की सुन्न दुचक्की सुण्णं चक्की दुसुण्णं च ॥ ४०८॥ तईयपतिठवणा
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४०२॥ जाओ छहि नामजणेसरो जाओ। दूसममयाणुसारेणं ॥ ४०५
मन्नदुर्ग तिजिण
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