SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 538
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रवचन० ॥ ४७५ ॥ पउमाभवासुपूज्जा रत्ता ससिपुप्फदंत ससिगोरा । सुबयनेमी काला पासो मल्ली पिगंगाभा ॥ ३८१ ॥ वरतवियकणयगोरा सोलस तित्थंकरा मुणेयबा । एसो वन्नविभागो चवीसाए जिनिंदाणं ॥ ३८२ ॥ ३० द्वारम् ॥ एगो भगवं वीरो पासो मल्ली य तिहि तिहि सएहिं । भगवंपि वासुपुज्जो छहिँ पुरिससएहिं निक्खंतो ॥ ३८३ ॥ उग्गाणं भोगाणं रायण्णाणं च खत्तियाणं च । चउहिँ सहस्सेहिँ उसहो सेसा उ १९ सहस्सपरिवारा ॥ ३८४ ॥ ३१ द्वारम् ॥ चउरासी १ बिसत्तरि २ सट्ठी ३ पन्नास ४ मेव लक्खाई । चत्ता ५ तीसा ६ वीसा ७ दस ८ दो ९ एगं १० च पुवाणं ॥ ३८५ ॥ चउरासी ११ बावत्तरी १२ य सट्ठी १३ य होइ वासाणं । तीसा १४ य दस १५ य एगं १६ एवं एए सयसहस्सा ॥ ३८६ ॥ पंचाणउइ सहस्सा १७ चउरासीई १८ य पंचवन्ना १९ य । तीसा २० य दस २१ य एवं २२ सय २३ व बावत्तरी २४ चैव ॥ ३८७ ॥ ३२ द्वारम् ॥ एगो भगवं वीरो तेत्तीसाऍ सह निबुओ पासो । छत्तीसेहिं पंचहि सएहिं नेमी उसिद्धिगओ ॥ ३८८ ॥ पंचहिं समणसएहिं मल्ली संती उ नवसएहिं तु । अट्ठसएणं धम्मो सएहिं छहिं वासुपुज्जजिणो ॥ ३८९ ॥ सत्तसहस्साणंतइजिणस्स विमलस्स छस्सहस्साइं । पंच सयाई सुपासे पउमाभे तिण्णि अट्ठसया ॥ ३९० ॥ दसहिँ सहस्सेहिं उसहो सेसा उ सहस्सपरिवुडा सिद्धा । तित्थयरा उ दुवालस परिनिट्ठियअट्ठकम्मभरा ॥ ३९९ ॥ ३३ द्वारम् ॥ अट्ठावय चंपुज्जिं तपावासम्मेयसेलसिहरेसुं । उसभवसुपुज्जनेमी वीरो सेसा य सिद्धिगया ॥ ३९२ ॥ ३४ द्वारम् ॥ ४ ॥ ४७५ ॥ तो जिणंतराई वोच्छं किल उसभसामिणो अजिओ । पण्णासकोडिलक्खेहिं सायराणं समुप्पण्णो ॥ ३९३ ॥ तीसाए Jain Education International जिनयक्षा दीनि २५-३४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy