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________________ प्रवचन सूत्रे ॥४६८॥ हि व घरेहि भिक्खाहिं अहव दबेहिं । जो भत्तपरिच्चायं करेइ परिमाणकडॅमेयं ॥ १९७॥ सर्व असणं सबं च पाणगंटा ४ प्रत्याखाइमंपि सबंपि । वोसिरइ साइमंपि हु सब जं निरवसेसं तं ॥१९८॥ केयं गिहंति सह तेण जे उ तेसिं इमं तु साकेयं ।। ख्यानं अहवा केयं चिंधं सकेयमेवाहु साकेयं ॥१९९ ॥ अंगुट्ठी गठि मुट्ठी घरसेयुस्सासथिबुगजोइक्खे । पञ्चक्खाणविचाले |किच्चमिणमभिग्गहेसुवि य ॥२०॥ अद्धा कालो तस्स य पमाणमद्धं तु जं भवे तमिह । अद्धापच्चक्खाणं दसमं तं पण इमं भणियं ॥ २०१॥ नवकारपोरिसीए पुरिमड्ढेकासणेगठाणे य । आयंबिलऽभत्तढे चरिमे य अभिग्गेहे विगई॥२०२॥17 दो चेव नमोक्कारे आगारा छच्च पोरसीए उ । सत्तेव य पुरिमड्डे एक्कासणगंमि अद्वैव ॥ २०३ ॥ सत्तेगट्ठाणस्स उ अद्वेव |य अंबिलंमि आगारा । पंचेव अब्भत्तढे छप्पाणे चरिम चत्तारि ॥२०४॥ पंच चउरो अभिग्गहि निविइए अढ नव या आगारा । अप्पाउरणे पंच उ हवंति सेसेसु चत्तारि ॥ २०५॥ नवणीओगाहिमगे अद्दवदहि पिसियघयगुडे चेव । नव आगारा एसि सेसदवाणं च अद्वेव ॥ २०६ ॥ असणं ओयण सत्थुगमुग्गजगाराइ खज्जगविही य । खीराइ सुरणाई मंडगपभिई य विन्नेयं ॥ २९७ ॥ पाणं सोवीरजवोदगाइ चित्तं सुराइयं चेव । आउकाओ सबो कक्कडगजलाइयं च तहा ॥२०८ ॥ भत्तोसं दंताई खज्जूरगनालिकेरदक्खाई । कक्कडिअंबगफणसाइ बहुविहं खाइम नेयं ॥ २०९॥ दंतवणं तंबोल चित्तं तुलसीकुहेडगाईयं । महुपिप्पलिसुंठाई अणेगहा साइमं नेयं ॥ २१० ॥ पाणंमि सरयविगई खाइम पक्कन्नअंसओ भणिओ। साइमि गुलमहुविगई सेसाओ सत्त असणंमि ॥२११॥ फासियं पालियं चेव, सोहियं तीरियं तहा । कित्ति- ॥४६८॥ येमाराहियं चेव, जएज्जा एरिसम्मि उ ॥ २१२ ॥ उचिए काले विहिणा पत्तं जं फासियं तयं भणियं । तह पालियं च Jan Education International For Private Personel Use Only www.ainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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