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:- Settiti-2
वंदणयसुत्तं च ॥ १८१॥ सुत्तं अब्भुट्ठाणं उस्सग्गो पुत्तिवंदणं तह य । पजंते खामणयं एस विही पक्खिपडिकमणे ॥ १८२॥ चत्तारि दो दुवालस वीसं चत्ती य हुंति उज्जोया । देसिय राइय पक्खिये चाउम्मासे य वरिसे य ॥ १८३ ॥ पणवीस २५ अद्धतेरस १२३ सलोग पन्नत्तरी ७५ य बोद्धबा । सयमेगं पणवीसं १२५ वे बावण्णा य २५२ वरिसंमि ॥ १८४ ॥ सय सयं गोसद्धं तिन्नेव सया हवंति पक्खंमि । पंच य चाउम्मासे वरिसे अट्ठोत्तरसहस्सा ॥ १८५ ॥ देवसियचाउमासियसंवच्छरिएसु पडिक्कमणमझे । मुणिणो खामिजंति तिन्नि तहा पंच सत्त कमा ॥ १८६ ॥ ३ द्वारम् ॥
भावि अईयं कोडीसहियं च नियंटियं च सौगारं। विगयागारं परिमाणवं निरवसेसमट्ठमयं ॥ १८७॥ साकेयं च तहऽद्धा, पच्चक्खाणं च दसमयं । संकेयं अट्ठहा होइ, अद्धायं दसहा भवे ॥ १८८ ॥ होही पज्जोसवणा तत्थ य न तवो हवेज काउं मे । गुरुगणगिलाणसिक्खगतवस्सिकज्जाउलत्तेण ॥ १८९॥ इअ चिंतिअ पुषं जो कुणइ तवं तं अणागयं विति । तमइक्वंतं तेणेव हेउणा तवइ जं उडे ॥ १९० ॥ गोसे अब्भत्तटुं जो काउं तं कुणइ बीयगोसेऽवि । इय कोडी
दुगमिलणे कोडीसहियं तु नामेणं ॥ १९१॥ हटेण गिलाणेण व अमुगतवो अमुगदिणंमि नियमेणं । कायबोत्ति नियं|टियपच्चखाणं जिणा बिंति ॥ १९२॥ चउदसपुविसु जिणकप्पिएसु पढमंमि चेव संघयणे । एयं वोच्छिन्नं चिय थेरावि तया करेसी य ॥१९३॥ महतरयागाराईआगारेहिं जुयं तु सागारं । आगारविरहियं पुण भणियमणागीरनामेति ॥१९४॥ किंतु अणाभोगो इह सहसागारो अ दुन्नि भणिअबा । जेण तिणाइ खिविजा मुहंमि निवडिज वा वाहवि ॥ १९५॥ | इय कयआगारदुगंपि सेसआगाररहिअमणगारं । दुन्भिक्खवित्तिकंतारगाढरोगाइए कुजा ॥ १९६ ॥ दत्तीहि व कवले-||
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