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गए तम्हा ॥११७॥ सातो जो खलु तिहि गतिहिं तारिस
ते तंमी(मिय) सन्निहिया संसत्तो भण्णए तम्हा ॥११७॥ सो दुविगप्पो भणिओ जिणेहिँ जियरागदोसमोहेहिं । एगोउ संकिलिट्ठो असंकिलिट्ठो तहा अन्नो ॥ ११८ ॥ पंचासवप्पसत्तो जो खलु तिहिं गारवेहिं पडिबद्धो । इस्थिगिहिसंकिलिट्ठो संसत्तो संकिलिट्ठो उ ॥ ११९॥ पासत्थाईएसुं संविग्गेसुं च जत्थ मिलई उ । तहिं तारिसओ होई पियधम्मो अहव | इयरो उ ॥ १२०॥ उस्सुत्तमायरंतो उस्सुत्तं चेव पन्नवेमाणो। एसो उ अहाछंदो इच्छाछंदोत्ति एगट्ठा ॥ १२१॥ | उस्सुत्तमणुवइटुं सच्छंदविगप्पियं अणणुवाई । परतत्तिपवत्ती तितिणो य इणमो अहाच्छंदो ॥१२२॥ सच्छंदमइविगप्पिय किंची सुहसायविगइपडिबद्धो । तिहिं गारवेहिं मजइ तं जाणाही अहाछंदं ॥ १२३ ॥ वक्खित्तपराहुत्ते पैमत्ते मा कयाइ8 वंदिज्जा । आहारं व करिते नीहारं वा जइ करेइ ॥ १२४ ॥ पसंते आसणत्थे य, उवसंते उवट्ठिए । अणुन्नवित्तु मेहावी, | किइकम्म पउंजए ॥१२५॥ आयप्पमाणमित्तो चउदिसिं होइ उग्गहो गुरुणो । अणणुन्नायस्स सया न कप्पए तत्थ पविसेउं ॥ १२६ ॥ वंदणचिइंकिइकम्मं पूयाकम्मं च विणयकम्मं च । वंदणयस्स इमाई हवंति नामाई पंचेव ॥ १२७॥ सीयले १ खुड्डए २ कण्हे ३, सेवए ४ पालए ५ तहा । पंचेए दिटुंता, किइकम्मे हुंति नायबा ॥ १२८ ॥ पुरओ, पक्खासन्ने गंताचिगुणनिसीयणायमणे । आलोयणऽपडिसुणणे पुवालवणे य आलोए ॥ १२९ ॥ तह उवदंस निमंतण खद्धाइयणे तहा अपडिसुणणे। खद्धत्ति य तत्थगए कि तुम ताय नोसुमणे ॥१३० ॥ नो सरंसि हंक छित्तों परिसं भित्ता अणुट्टियाइ कहे । संथारपायर्घट्टण चिट्ठोच्चसमासणे यावि ॥१३१॥ पुरओ अग्गपएसे पक्खे पासंमि पच्छ आसन्ने । गमणेण तिन्नि ठाणेण तिन्नि तिण्णि य निसीयणए ॥१३२॥ विणयभंसाइगदूसणाउ आसायणाओ
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