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प्रवचन
सूत्रे
२ वन्दनकम्
॥४६५॥
तुभपि वट्टए ऐवं । अहमवि खामेमि तुमे वयणाई वंदणरिहस्स ॥१०१॥ आयरिय उवज्झाए पवत्ति थेरे तहेव रायणिऍ। एएसि किइकम्मं कायचं निजरट्ठाए ॥ १०२॥ पासत्थो १ ओसन्नो २ होइ कुसीलो ३ तहेव संसत्तो ४ । | अहछंदोवि अ एए अवंदणिज्जा जिणमयंमि ॥ १०३ ॥ सो पासत्थो दुविहो सके देसे य होइ नायबो। सर्वमि नाणदंसणचरणाणं जो उ पासंमि ॥१०४॥ देसंमि य पासत्थो सेजायरऽभिहडरायपिण्डं च । नीयं च अग्गपिण्डं भुंजइ निक्कारणे
चेव ॥१०५॥ ओसन्नोवि य दुविहो सके देसे य तत्थ सर्वमि । अवबद्धपीढफलगो ठवियगभोई य नायवो ॥ १०६॥8 | आवस्सयसज्झाए पडिलेहणभिक्खझाणभत्तट्टे । आगमणे निग्गमणे ठाणे य निसीयणतुयट्टे ॥ १०७॥ आवस्सयाइयाई न करेइ अहवा बिहीणमहियाई । गुरुवयणवला य तहा भणिओ देसावसन्नोत्ति ॥ १०८॥ तिविहो होइ कुसीलो नाणे तह दसणे चरित्ते य । एसो अवंदणिज्जो पन्नत्तो वीयरागेहिं ॥ १०९॥ नाणे नाणायारं जो उ विराहेइ कालमाईयं ।। दसण दंसणयारं चरणकुसीलो इमो होइ ॥११०॥ कोउय भूईकम्मे पसिणापैसिणे निमित्तमाजीवी । कक्ककरुयाई लक्षण उवजीवइ विज्जमंताई ॥१११॥ सोहग्गाइनिमित्तं परेसि ण्हवणाइ कोउयं भणियं । जरियाइभूइदाणं भूईकम्मं विणिद्दिढं ॥ ११२ ॥ सुविणगविजाकहियं आईखणघंटियाइकहणं वा । सासइ अन्नेसिं पसिणापसिणं हवइ एयं ॥ ११३॥ तीयाइभावकहणं होइ निमित्तं इमं तु आजीवं । जाइकुलसिप्पकम्मे तवगणसुत्ताइ सत्तविहं ॥ ११४ ॥ कक्ककुरुया य माया नियडीए डंभणंति जं भणियं । थीलक्खणाइ लक्खण विजामताइया पयडा ॥ ११५ ॥ संसत्तो उ इयाणि सो पुण गोभत्तलंदए चेव । उच्छिट्ठमणुच्छिद्रं जं किंचिच्छुब्भए सबं ॥११६॥ एमेव य मूलुत्तरदोसा य गुणा य जत्तिया केई।18
॥४६५॥
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