________________
प्रवचन
सूत्रे
॥४६
॥
COACHAR
कायठिई भवठिइओ एगिदियविगलसन्निजीवाणं । तेणुमाणमेसि इंदियसरूवविसया य लेसाओ ॥४३॥ ऐयाणं जत्थद्वारगाथाः गई जत्तो ठाणेहि ऑगई एसिं। उप्पत्तिमरणविरहो जायंतमरंतसंखा य ॥४४॥ भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणवासिदेवाणं । ठिई भवेण देहाणं लेसोओ ओहिनाणं च ॥ ४५ ॥ उप्पत्तीए तहुवट्टणाय विरहो इमाण संखी य । जम्मि य एयाण गई जत्तो वा आगई एसिं ॥ ४६॥ विरहो सिद्धिगईए जीवाणाहारगहणऊसासा । तिन्नि सया तेसट्ठा सिंडीणऽट य माँया ॥४७॥ भैरहाहिवा हेलेहरा "हरिणो पडिवासुदेवरायाणो । रयणाइ चेउद्दस नव निही तह जीवसंखाँओ॥४८॥ कम्माई अद्वै तेसिं उत्तरपयडीण अट्ठवन्नसयं । बंधोदयाणुदीरणसत्ताण य किंपि हु सरूवं ॥४९॥ कम्मडिइ साबाहा बायालीसा उ पुण्णपयडीओ । बासी य पविपयडीओं भीवछक्कं सपडिभेयं ॥ ५० ॥ जीवाण अजीवाण य गुणाण तह मग्गणाण पत्तेयं । चउदसगं उर्वओगा बारस जोगा य पण्णरस ॥५१॥ परलोगगई गुणठाणएसु तह | ताण कालपरिमाणं । नरयतिरिनरसुराणं उक्कोसविउवणाकालो ॥५२॥ सत्तेव समुग्धाया छप्पजत्तीऽणहारया चउरो।
सत्त भट्ठाणाई छब्भासा अप्पसत्थाओ॥ ५३॥ भंगा गिहिवयाणं अट्ठारस पावठाणगाइपि । मुणिगुण सत्ताबीसा इगवीसा सावयगुणाणं ॥ ५४ ॥ तेरिच्छीणुक्किट्ठा गभठिई तह य सा मणुस्सीणं । गब्भस्स य कायठिई गब्भट्ठियजीवआहारो ॥ ५५॥ रिउरुहिरसुक्कजोए जत्तियकालेण गेभसंभूई। जत्तिय पुत्ता गम्भे जत्तिय पियरो य पुतस्स ॥ ५६ ॥ महिला गम्भअजोगा जेत्तियकालेणऽबीयओ पुरिसो । सुक्काईण सरीरट्ठियाण सबाण परिमाणं ॥ ५७ ॥ सम्मत्ताईणुत्तमगुणाण लाइंतरं जमुक्कोसं । न लहंति माणुसत्तं सत्ता जेऽणंतरुबट्टों ॥ ५८ ॥ पुवंगपरीमाणं माणं पुस्स लवणसि
॥४६३
Jan Education Intematonal
For Private sPersonal use Only
www.jainelibrary.org