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________________ निग्गंथावि चैउगइया ॥ २६ ॥ खित्ते मैंगे काले तहा पैमाणे अईयमकप्पं । दुहेमुंहंसेज्जचक्क तेरस किरियाण ठणाई ॥ २७ ॥ एगंमि बहुभवेसु य आगरिसा चउबिहेऽवि सोमइए । सीलिंगाणऽडारस हँस्स नयसत्तगं चैव ॥ २८ ॥ वेत्थ गहणविहाणं हारा पंच तह अहाजायं । निसिजागरणमि विही आलोयणदाययऽन्नेसा ॥ २९ ॥ गुरुपमुहाणं कीरइ असुद्धसुद्धेहिं जत्तियं कालं । उवहीधोयणकालो भोयणभाया वैसहिसुद्धी ॥ ३० ॥ संलेहणा दुबलस वरिसे वसहेण वसहिसंग्रहणं । उसिणस्स फाँसुयस्सवि जलस्स सच्चित्तयाकालो ॥ ३१ ॥ तिरिइत्थीओ तिरियाण माणवीओ नराण देवीओ | देवाण जग्गुणाओ जत्तियमेत्तेण अहियाओ ॥ ३२ ॥ अच्छेयाण दसगं चउरो भासा उवयंणसोलसगं । मीसाण पंच भेया भेया वरिसाण पंचेव ॥ ३३ ॥ लोगसरूवं सन्नाओ तिन्नि चेंडेरो व देस व पॅनॅरस । तह सत्तसट्ठिलक्खणभे अविसुद्धं च सम्मत्तं ॥ ३४ ॥ एगविह दुविह तिविहं चउहा पंचविह दसविहं सम्मं । दबाइकारगाईज्वसमभेएहिं वा सम्मं ॥ ३५ ॥ कुलकोडीणं संखा जीवाणं जोणिलक्ख चुलसीई । तेक्कालाई वित्तत्थविवरण सङ्कुपडिमाउ ॥ ३६ ॥ धन्नाणमबीयत्तं खेत्ताईयाण तह अचित्तत्तं । धन्नाई चडवीसं मरणं सत्तरसमेयं च ॥ ३७ ॥ पलिओम अयरऽवसंप्पिणीण उस्सप्पिणीणवि संवं । दबे खेत्ते काले भावे पोलपरावो ॥ ३८ ॥ पन्नरस कम्मभूमी अकम्मभूमीउ तीस | अट्ठ मैया । दोन्नि सया तेयाला भेया पमिइवायस्स ॥ ३९ ॥ परिणामाणं अट्ठोरेंसयं बंभमट्ठदसभेयं । कामाण - बीसा दस पणा दस य कॅप्पदुमा ॥ ४० ॥ नरया नेरइयाणं वासा वेयाऽऽणुर्माणं । उप्पत्तिनासविरहो लेसाऽवहि * परमहम्मा य ॥ ४१ ॥ नरयुबट्टाणं लद्धिसंभवो तेसु जेसि उवाओं । संखा उपजंताण तह य उद्यमाणाणं ॥ ४२ ॥ 4xxxy Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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