SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 456
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २७१ प्रव० सारोद्धारे तत्त्वज्ञानवि० RECARLOCALCAN विविधाः तपोमेदार गा. १५०९-७० ॥४३४॥ होइ अमावस्सतवो अमावसावासरुद्दिट्टो ॥५२॥ सिरिपुंडरीयनामगतवंमि एगासणाइ कायवं । चेत्तस्स पन्निमाए पूएयचा य तप्पडिमा ॥५३॥ देवग्गठवियकलसो जा पुन्नो अक्खयाण मुट्ठीए। जो तत्थ सत्तिसरिसो तवो तमक्खयनिहिं बिंति ॥५४॥ वड्डइ जहा कलाए एकेकाएऽणुवासरं चंदो। संपुन्नो संपज्जइ जा सयलकलाहिं पबंमि ॥ ५५॥ तह पडिवयाए एको कवलो बीयाइ पुन्निमा जाव । एकेककवलवुड्डी जा तेर्सि होइ पन्नरसगं ॥५६॥ एक्केक्कं किण्हंमि य पकखंमि कलं जहा ससी मुयइ । कवलोवि तहा मुच्चइ जाऽमावासाइ सो एक्को ॥५७॥ एसा चंदप्पडिमा जवमज्झा मासमित्तपरिमाणा। इण्हिं तु वजमज्झं मासप्पडिमं पवक्खामि ॥५८॥ पन्नरस पडिवयाए एक्कगहाणीऍ जावsमावस्सा । एक्केणं कवलेणं जाया तह पडिवईऽवि सिआ॥५९॥ बीयाइयासु इक्कगवुड्डीजा पुन्निमाऍ पन्नरस । जवमज्झवजमझाओ दोवि पडिमाओं भणियाओ ॥६०॥ दिवसे दिवसे एगा दत्ती पढमंमि सत्तगे गिज्झा । वहुइ दत्ती सह सत्तगेण जा सत्त सत्तमए ॥ ६१॥ इगुवन्नवासरेहिं होइ इमा सत्तसत्तमी पडिमा। अहमिया नवनवमिया य दसदसमिया चेव ॥ ६२॥ नवरं वडइ दत्ती सह अठ्ठगनवगदसगवुड्डीहिं। चउसट्ठी एक्कासी सयं च दिवसाणिमासु कमा ॥६३ ॥ एगाइयाणि आयंबिलाणि एकेकवुड्डिमंताणि। पजंतअभत्तहाणि जाव पुत्रं सयं तेसिं ॥६४॥ एवं आयंबिलवद्धमाणनामं महातवचरणं । वरिसाणि ORAN ॥४३४॥ Jain Education International For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy