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________________ Jain Education International दसगं । एक्कारस पण छक्कं सत्तट्ठ य इह तवे होंति ॥ ३९ ॥ तिन्नि सया बाणउया इत्थुववासाण होंति संखाए । पारणया गुणवन्ना भद्दाइतवा इमे भणिया ॥ ४० ॥ पडिवइया एक्कचिय दुर्ग दुइज्जाण जाव पन्नरस । खमणेह मावसाओ होइ तवो सङ्घसंपत्ती ॥ ४१ ॥ रोहिणिरिक्खदिणे रोहिणीतवो सत्त मासवरिसाई । सिरिवासुपुजपूयापुत्रं कीरइ अभत्तट्ठो ॥ ४२ ॥ एक्कारस सुयदेवीतमि एक्कारसीओं मोणेणं । कीरंति चउत्थेहिं सुयदेवीपूयणापुषं ॥ ४३ ॥ सबंगसुंदरतवे कुणंति जिणपूयखं तिनियमपरा । अड्डववासे एगंतरंबिले धवल पक्खमि ॥ ४४ ॥ एवं निरुजसि - होवि हु नवरं सो होइ सामले पक्खे | तंमि य अहिओ कीरइ गिलाणपडिजागरणनियमो ॥ ४५ ॥ सो परमभूसणो होइ जंमि आयंबिलाणि बत्तीसं । अंतरपारणयाइं भूसणदाणं च देवस्स ॥ ४६ ॥ आयइजणगोऽवेवं नवरं सव्वासु धम्मकिरियासुं । अणिमूहियबलविरियप्पवित्तितेहिं सो को ॥ ४७ ॥ एगंतरोववासा सबरसं पारणं च चेत्तंभि । सोहग्गकप्परुक्खो होइ तहा दिजए दाणं ॥ ४८ ॥ तवचरणसमत्तीए कप्पतरू जिणपुरो ससत्तीए । कायवो नाणाविहफलविलसिरसाहियासहिओ ॥ ४९ ॥ तित्थयरजणणिपूयापुढं एक्कासणाई सत्तेव । तित्थयरजणिनागतमि कीरंति भद्दवए ॥ ५० ॥ एक्कासणाइएहिं भद्दवयचउक्कगंमि सोलसहिं । होइ समोसरणतवो तप्पूयापुवविहिएहिं ॥ ५१ ॥ नंदीसरपडपूया निययसामत्थसरिसतवचरणा । For Private & Personal Use Only **** +++ www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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