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________________ AMIL % प्रव०.सारोद्धारे २- X २६८ अस्वाध्यायस्वरूपं गा. १४५०-७१ * तत्त्वज्ञा नवि० ॥४२१॥ ALENDAGANESCREENAM संझाछेयावरणो उ जूवओ सुकि दिण तिन्नि ॥५६॥ चंदिमसूरुवरागे निग्याए गुंजिए अहोरत्तं । संझाचउ पडिवए जं जहि सुगिम्हए नियमा ॥ ५७॥ आसाढी इंदमहो कत्तिय सुगिम्हए य बोद्धये । एए महामहा खलु एएसिं जाव पाडिवया ॥५८॥ उक्कोसेण दुवालस चंदो जहन्नेण पोरिसी अट्ट । सूरो जहन्न बारस पोरिसि उक्कोस दो अट्ठ ॥ ५९॥ सग्गह निवुड एवं सूराई जेण हुंतिऽहोरत्ता । आइन्नं दिणमुक्के सोचिय दिवसो य राई य॥६०॥ बुग्गहदंडियमाई संखोभे दंडिए व कालगए। अणरायए य सभए जच्चिरनिद्दोच्चऽहोरत्तं ॥ ६१॥ तदिवसभोइआइ अंतो सत्तण्ह जाव सज्झाओ। अणहस्स य हत्थसयं दिहिविवित्तंमि सुद्धं तु ॥६२॥ मयहर पगए बहुपक्खिए य सत्तघर अंतर मयंमि । निहुक्खत्तिय गरिहा न पढंति सणियगं वावि ॥ ६३ ॥ तिरिपंचिंदिय दवे खेत्ते सहिहत्थ पोग्गलाइन्नं । तिकुरत्थ महंतेगा नगरे बाहिं तु गामस्स ॥६४॥ काले तिपोरिसि अट्ट व भावे सुत्तं तु नंदिमाईयं । सोणिय मंसं चम्मं अट्ठीवि य अहव चत्तारि ॥६५॥ अंतो बहिं व धोयं सही हत्थाउ पोरिसी तिन्नि । महकाइ अहोरत्तं रत्ते बूढे य सुद्धं तु ॥६६॥ अंडगमुज्झिय कप्पे न य भूमि खणंति इयरहा तिन्नि । असझाइयप्पमाणं मच्छियपाया जहिं बुड्डे ॥ ६७ ॥ अजराउ तिनि पोरिसि जराउयाणं जरे पडे तिन्नि । रायपहबिदुपडिए कप्पे बूढे पुणो नत्थि ॥ ६८॥ माणुस्सयं चउद्धा अलि मोत्तूण सयमहोरत्तं । परि SASLCASE ॥४२१॥ Jain Education International For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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