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________________ प्रव० सा रोद्धारे २४५-६ पितृपुत्रसंख्यावी|जकालच तत्त्वज्ञा नवि० ॥४०२॥ १३६४-८३ तु भणियं चउकवालं ॥ ६९ ॥ अछुट्टपलं हिययं बत्तीसं दसण अच्छिखंडाइं । कालेजयं तु समए पणवीस पलाइ निद्दिढ ॥ ७० ॥ अंताई दोन्नि इहयं पत्तेयं पंच पंच वामाओ । सहिसयं संधीणं मम्माण सयं तु सत्तहियं ॥ ७१ ॥ सढिसयं तु सिराणं नाभिप्पभवाण सिरमुवगयाणं । रसहरणिनामधेज्जाण जाणऽणुग्गहविघाएसु ॥७२॥ सुइचक्खुघाणजीहाणणुग्गहो होइ तह विघाओ य । सहसयं अन्नाणवि सिराणऽहोगामिणीण तहा ॥७३ ॥ पायतलमुवगयाणं जंघाबलकारिणीणऽणुवघाए । उवघाए सिरवियणं कुणंति अंधत्तणं च तहा ॥ ७४ ॥ अवराण गुदपविट्ठाण होइ सह सयं तह सिराणं । जाण बलेण पवत्तइ वाऊ मुत्तं पुरीसं च ॥७५॥ अरिसा उ पांडुरोगो वेगनिरोहो य ताण य विघाए । तिरियगमाण सिराणं सहसयं होइ अवराणं ।। ७६॥ बाहुबलकारिणीओ उवघाए कुच्छिउयरवियणाओ। कुवंति तहऽन्नाओ पणवीसं सिंभधरणीओ ॥ ७७॥ तह पित्तधारिणीओ पणवीसं दस य सुक्कधरणीओ । इय सत्त सिरसयाई नाभिप्पभवाइं पुरिसस्स ॥७८॥ तीसूणाई इत्थीण वीसहीणाई हुंति संढस्स । नव पहारूण सयाई नव धमणीओ य देहमि ॥७९॥ तह चेव सचदेहे नवनउई लक्ख रोमकूवाणं । अछुट्टा कोडीओ समं पुणो केसमंसूहिं॥८०॥ मुत्तस्स सोणियस्स य पत्तेयं आढयं वसाए उ। अद्धाढयं भणंति य पत्थं मत्थुलुयवत्थुस्स ॥ ८१॥ असुइमल पत्थछक्कं कुलओ कुलओ य पित्तसिंभाणं । ॥४०॥ Jain Education International For Private & Personel Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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