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________________ न होइ पावइ न भोगपरिभोगं । निरुओऽवि असत्तो होइ अंतरायप्पभावेणं ॥ ६०॥ नामे वायालीसा भेयाणं अहव होइ सत्तट्ठी । अहवावि हु तेणउई तिग अहियसयं हवइ अहवा ॥११॥ पढमा यायालीसा ४२ गइ १ जाइ २ सरीर ३ अंगुवंगे ४ य । बंधण ५ संघायण ६ संघयण ७ संठाण ८ नामं च ॥ ६२ ॥ तह वन्न ९ गंध १० रस ११ फास १२ नाम अगुरुलहुयं च १३ बो छ । उवधाय १४ पराघाया १५ णुपुवि १६ ऊसासनामं च १७॥ ६३ ॥ आयावु १८ जोय १९ विहायगई २० तस २१ थावराभिहाणं च २२। बायर २३ सुहुमं २४ पज्जत्ता २५ पज्जत्तं च २६ नायचं ॥ ६४॥ पत्तेयं २७ साहारण २८ थिर २९ मथिर ३० सुभा ३१ सुभं ३२ च नायवं । सूभग ३३ दूभग ३४ नाम सूसर ३५ तह दूसरं ३६ चेव ॥६५॥ आएज्ज ३७ मणाएज्जं ३८ जसकित्तीनाम ३९ अजसकित्ती ४० य । निम्माणं ४१ तित्थयरं ४२ भेयाणवि हुँतिमे भेया ॥६६॥ गइ होइ चउप्पयारा जाईवि य पंचहा मुणेयवा। पंच य हुँति सरीरा अंगोवंगाई तिन्नेव ॥६७॥ छस्संघयणा ६ जाणसु संठाणावि य हवंति छच्चेव ६। वनाईण चउक्कं ४ अगुरुलहु १ वघाय १ परघायं १॥ ६८ ॥ अणुपुब्बी चउभेया ४ उस्सासं १ आयवं १ च उज्जोयं १। सुहअसुहा विहयगई २ तसाइवीसं च २० निम्माणं ॥ ६९॥ तित्थयरेणं सहिया १ सत्तट्ठी एव हुँति पयडीओ ६७। संमामीसेहि विणा तेवन्ना सेसकम्माणं ॥७०॥ एवं वीसुत्तरसयं १२० बंधे पयडीण होइ Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600108
Book TitlePravachan Saroddhar Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1926
Total Pages628
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size13 MB
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