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प्रव० सा
रोद्धारे
तत्त्वज्ञा
नवि०
॥ ३५३ ॥
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याओ चउन्भेया ४ ॥ ३३ ॥ अहव तिवेयअवेयगसरूवओ वा हवंति चत्तारि ४ । एगबितिचउपणिदियरूवा पंचप्पयारा ते ॥ ३४ ॥ एए चिय छ अनिंदियजुत्ता ६ अहवा छ भूजलग्गिनिला । वणतससहिया ६ छप्पिय ते सत्त अकायसंवलिया ॥ ३५ ॥ अंडय १ रसय २ जराउय ३ संसेयय ४ पोयया ५ समुच्छिमया ६ । उब्भिय ७ तहोववाइय ८ भेएणं अट्ठहा जीवा ॥ ३६ ॥ पुढवाह पंच वितिचउपणिदि ४ जुत्ता य नवविहा ९ हुंति । नारयनपुंस तिरिनरतिवेय सुरथीपुमेवं वा ॥ ९ ॥ ३७ ॥ पुढवाइ अट्ठ असन्नि सन्नि दस ते ससिद्ध इगदसउ ११ । पुढवाइया तसंता अपज्जपज्जत्त बारसहा ॥ ३८ ॥ बारसवि अतणुजुत्ता तेरस मुहुमियरेगिंदिबेदी । तिय च असन्नि सन्नी अपज्जपजत्त चउदसहा ॥ ३९ ॥ चउदसवि अमलकलिया पनरस तह अंडगाइ जे अट्ठ । ते अपजत्तगपजत्तभेयओ सोलस हवंति ॥ ४० ॥ सोलसवि अकायजुया सतरस नपुमाइ नव अपजत्ता । पजत्ता अट्ठारस अकम्मजुअ ते इगुणवीसं ॥ ४१ ॥ पुढवाइ दस अपज्जा पज्जन्त्ता हुंति वीस संखाए । असरीरजुएहिं तेहिं वीसई होइ एगहिया ॥ ४२ ॥ सुहुमियरभूजलानलवाडवणाणंत दस सपत्तेआ । वितिचउअसन्निसन्नी अपज्जपज्जन्त बत्तीसं ॥ ४३ ॥ तह नरयभवणवणजोइक प्प गेवेजऽणुत्तरुपपन्ना । सन्तदसऽडपणबारस नवपणछप्पन्नवेउवा ॥ ४४ ॥ हुति अडवन्नसंखा ते नरतेरिच्छसंगया सवे । अपजत्तपजत्तेहिं सोलसुत्तरसयं तेहिं ॥ ४५ ॥ सन्नि
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२१४ जीवसंख्याकुलकम् गा. १२३२-४८
॥ ३५३ ॥
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