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________________ * ** ॥१८७॥ साकेयं च तहद्धा पचक्खाणं च दसमयं । संकेयं अहा होइ, अद्धायं दसहा भवे ॥१८८ ॥ होही पज्जोसवणा तत्थ य न तवो हवेज काउं मे । गुरुगणगिलाणसिक्खगतवस्सिकजाउलत्तेण ॥ १८९ ॥ इअ चिंतिअ पुव्वं जो कुणइ तवं तं अणागयं बिति । तमईकंतं तेणेव हेउणा तवइ जं उद्धं ॥ १९० ॥ गोसे अन्भत्तहँ जो काउं तं कुणइ बीयगोसेऽवि । इय कोडीदुगमिलणे कोडीसहियं तु नामेणं ॥१९१॥ हटेण गिलाणेण व अमुगतवो अमुगदिणमि नियमेणं । कायव्वोत्ति नियंटियपच्चक्खाणं जिणा बिंति ॥ १९२॥ चउदसपुविसु जिणकपिएसु पढमंमि चेव संघयणे । एयं वोच्छिन्नं चिय थेरावि तया करेसी य ॥ १९३ ॥ महतरयागाराईआगारेहिं जुयं तु सांगारं । आगारविरहियं पुण भणियमणागारनामेति ॥ १९४ ॥ किंतु अणाभोगो इह सहसागारो अ दुन्नि भणिअव्वा। जेण तिणाइ खिविजा मुहमि निवडिज वा कहवि ॥१९५॥ इय कयआगारदुगंपि सेसआगाररहिअमणागारं । दुभिक्खवित्तिकंतारगाढरोगाइए कुजा ॥ १९६॥ दत्तीहि व कवलेहिव घरेहिं भिक्खाहिं अहव दब्वेहिं । जो भत्तपरिचायं करेइ परिमाणकॅडमेयं ॥ १९७॥ सवं असणं सव्वं च पाणगं खाइमंपि सव्वंपि । वोसिरह साइमंपि हु सव्वं जं निरवसेसं तं ॥ १९८ ॥ केयं गिहंति सह तेण जे उ तेसिमिमं तु साकेयं । अहवा केयं CHASSESSORIAS Jain Education a l For Private Personel Use Only M ainelibrary.org
SR No.600107
Book TitlePravachan Saroddhar Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1922
Total Pages444
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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